Book Title: Shastra Sandesh Mala Part 12
Author(s): Vinayrakshitvijay
Publisher: Shastra Sandesh Mala

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Page 15
________________ // 32 // // 33 // // 34 // तस्याग्निर्जलमर्णवः स्थलमरिमित्रं सुराः किंकराः कान्तारं नगरं गिरिरॅहमहिर्माल्यं मृगारिमंगः।। पातालं बिलमस्त्रमुत्पलदलं व्यालः शृगालो विषं पीयूषं विषमं समं च वचनं सत्याञ्चितं वक्ति यः तमभिलषति सिद्धिस्तं वृणीते समृद्धिस्तमभिसरति कीतिर्मुञ्चते.तं भवातिः / स्पृहयति सुगतिस्तं नेक्षते दुर्गतिस्तं परिहरति विपत्तं यो न गृह्यत्यदत्तम् / अदत्तं नादत्ते कृतसुकृतकामः किमपि यः शुभश्रेणिस्तस्मिन्वसति कलहंसीव कमले। विपत्तस्माद्दूरं व्रजति रजनीवाम्बरमणेविनीतं विद्येव त्रिदिवशिवलक्ष्मीर्भजति तम् यनिर्वतितकीर्तिधर्मनिधनं सर्वागसां साधनं प्रोन्मीलद्वधबन्धनं विरचितक्लिष्टाशयोद्बोधनम् / दौर्गत्यैकनिबन्धनं कृतसुगत्याश्लेषसंरोधनं / प्रोत्सर्पत्प्रधनं जिघृक्षति न तद्धीमानदत्तं धनम् परजनमनःपीडाक्रीडावनं वधभावनाभवनमवनिव्यापिव्यापल्लताघनमण्डलम् / कुगतिगमने मार्गः स्वर्गापवर्गपुरार्गलं नियतमनुपादेयं स्तेयं नृणां हितकाक्षिणाम् दत्तस्तेन जगत्यकीर्तिपटहो गोत्रे मषीकूर्चकश्चारित्रस्य जलाञ्जलिर्गुणगणारामस्य दावानलः / संकेतः सकलापदां शिवपुरद्वारे कपाटो दृढः / शीलं येन निजं विलुप्तमखिलं त्रैलोक्यचिन्तामणिः // 35 // // 36 // // 37 //

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