Book Title: Shastra Sandesh Mala Part 04
Author(s): Vinayrakshitvijay
Publisher: Shastra Sandesh Mala
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________________ // 7 // बुद्धाऽद्वैतसत्तत्त्वस्य यथेच्छाचरणं यदि / शुनां तत्त्वदृशां चैव को भेदोऽशुचिभक्षणे अबुद्धिपूर्विका वृत्तिर्न दुष्टा तत्र यद्यपि / तथापि योगजादृष्टमहिम्ना सा न संभवेत् निवृत्तमशुभाचाराच्छुभाचारप्रवृत्तिमत् / / स्याद्वा चित्तमुदासीनं सामायिकवतो मुनेः विधयश्च निषेधाश्च ने त्वज्ञाननियन्त्रिताः / बालस्यैवागमे प्रोक्तो नोद्देशः पश्यकस्य यत् // 8 // . न च सामर्थ्ययोगस्य युक्तं शास्त्रं नियामकम् / .. कल्पातीतस्य मर्यादाप्यस्ति न ज्ञानिनः क्वचित् भावस्य सिद्ध्यसिद्धिभ्यां यच्चाकिंचित्करी क्रिया / / ज्ञानमेव क्रियामुक्तं राजयोगस्तदिष्यताम् // 10 // मैवं नाकेवली पश्यो नापूर्वकरणं विना / धर्मसंन्यासयोगी चेत्यन्यस्य नियता क्रिया .. // 11 // स्थैर्याधानाय सिद्धस्यासिद्धस्यानयनाय च / भावस्येव क्रिया शान्तचित्तानामुपयुज्यते // 12 // क्रियाविरहितं हन्त ज्ञानमात्रमनर्थकम् / गति विना पथज्ञोऽपि नाप्नोति पुरमीप्सितम् // 13 // स्वानुकूलां क्रियां काले ज्ञानपूर्णोऽप्यपेक्षते / प्रदीपः स्वप्रकाशोऽपि तैलपूर्त्यादिकं यथा // 14 // बाह्यभावं पुरस्कृत्य ये क्रिया व्यवहारतः / वदने कवलक्षेपं विना ते तृप्तिकाक्षिणः गुणवद्बहुमानादेनित्यस्मृत्या च सत्क्रिया। जातं न पातयेद्भावमजातं जनयेदपि // 15

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