Book Title: Shantinath Puran
Author(s): Sakalkirti Acharya, Lalaram Shastri
Publisher: Vitrag Vani Trust

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Page 277
________________ आख्यान करते हैं, वे सम्यग्दृष्टी (मुनि) रागादिक विकारों का विनाश कर निर्मल पुण्यराशि सम्यक्ज्ञान-गुण एवं विवेक को प्राप्त करते हैं एवं मनुष्य तथा देव गतियों के उत्तम सुखों का अनुभव कर अनुक्रम से भगवान श्री शान्तिनाथ के सदृश मोक्ष में जा विराजमान होते हैं । मैं अल्पज्ञानी हूँ। मैंने केवल मोक्ष प्राप्त करने की अभिलाषा से भगवान श्री शान्तिनाथ के चरित्र का वर्णन किया है । इसमें मेरे अज्ञान या प्रमाद से जो स्वर-सन्धि छूट गई हो, कोई वर्ण रह गया हो या मात्रा की त्रुटि हो गई हो, तो मेरे उन समग्र दोषों को सम्यक्जानी चतुर मुनिगण कृपया क्षमा करने की कृपा करें । मैंने इस ग्रन्थ रचना न तो अपनी कीर्ति विस्तार के लिए की है, न बड़प्पन प्रदर्शन के लिए, न अन्य किसी लाभ की प्राप्ति हेतु एवं न अपने कवित्व आदि के अभिमान से ही प्रणीत किया है । वस्तुतः इस ग्रन्थ की रचना पापों का नाश करने के लिए तथा स्व (अपना) एवं पर (दूसरों) का उपकार करने के लिए ही हुई है । भगवान श्री शान्तिनाथ अत्यन्त शान्त हैं, इन्द्रादि समस्त देवों के द्वारा पूज्य हैं, सम्पूर्ण संसार के नाथ (ईश्वर) हैं, तीर्थकर हैं, सौभाग्य की निधि हैं, मुक्ति रूपी रमणी के पति तुल्य हैं, तीर्थंकर एवं चक्रवर्ती की लक्ष्मी (वैभव) से युक्त सुशोभित हैं, शान्ति एवं धर्म के प्रदाता हैं, कामदेव हैं, चक्ररत्न एवं धर्मचक्र दोनों को धारण करनेवाले हैं एवं भव्य सज्जनों के द्वारा अत्यन्त सेव्य हैं । ऐसे भगवान श्री शान्तिनाथ अपने चरित्र के संग-संग इस पृथ्वी पर सदैव जयशील बने रहें । मैंने इस उत्तम ग्रन्थ की रचना के द्वारा भगवान श्री शान्तिनाथ की भक्तिपूर्वक स्तुति की है। इसलिये जब तक मुझे मोक्ष प्राप्त न हो, तब तक भगवान श्री शान्तिनाथ कृपापूर्वक यथाशीघ्र मेरे कर्मों | का नाश करें, मेरे दुःखों को दूर करें, मुझे निर्मल रत्नत्रय प्रदान करें, समाधि मरण प्रदान करें एवं श्रेष्ठ ध्यान की प्राप्ति करायें । यह अनुग्रह मुझे मोक्ष प्राप्त होने तक जन्म-जन्मान्तर में प्राप्त होता रहे। भट्टारक श्री सकलकीर्ति विरचित श्री शान्तिनाथ पुराण में श्री शान्तिनाथ का समवशरण, धर्मोपदेश एवं मोक्षगमन का वर्णन करनेवाला सोहलवाँ व अन्तिम अधिकार समाप्त हुआ ॥१६॥ Fb FFF . *****..

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