Book Title: Satyashasana Pariksha
Author(s): Vidyanandi, Gokulchandra Jain
Publisher: Bharatiya Gyanpith
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परिशिष्ट ३
[ए] एकान्त १११२,२०,६।३,७१९
[औ] औलूक्य ३५।२४,४३१५
[क] कपिल १५.५,३१७,८,१२ कर्म ३४५ कापालिक १६।२ कापिल ३३३ क्रिया २२।२१,४४७ कूटस्थ २७।२७ कुम्भकार ३११७
[ ख] खरविषाण ८१२,४६।११,४७११९
[ग] गगन १११२० गन्ध २०१३ गौणकल्पन १७११६ गुण २२।२१,३४।५,४४।७
[च ] चन्द्रकान्त १६४९,१४,१५ चन्द्रमरीचिजाल ७२५ चार्वाक १६।११,१७११२,१९।१४,१६,१८ चार्वाक-शासन १११,१५।१,३ चित्राद्वैत-शासन ११९,१४।१२,१३,२१
[छ ] छल ४२१५
[ज] जल्प ४२१४ जल १६।१५ जलपुद्गल विचार ७।२६ जाति २२।२१,२२,२३,४२।५,४४।७
[ड] डिण्डिम १६१८
[त] तत्वोपप्लव ७/१८,८६ तत्वोपप्लव-शासन १।१० तत्त्वज्ञान ४२१५
तर्क ४२१४ ताथागत २४१२३,२७।२० तार्किक ४२।२६,४३१५
[द] द्रव्य २२।२१,३४।५,८,४४१७,९ दृष्टान्त ६।१७,४२।४ दृष्टादृष्टार्थ प्रपञ्च ९।२ द्वैताद्वत ११११,१३ द्वैतप्रपञ्च ६२ द्वंतसिद्धि ५/२८,६।२३,७।११
[न] नर्तकी १६१३,७ निर्णय ४२१४ निधिलक्षण १७/१७ निग्रह ४२।५ निर्विकल्पक २०॥५,९,२८।१८ निरास्रव २९१९ निरीश्वर सांख्य ३०।२४,३२११६ निरीश्वरशासन १।१० निःश्रेयस ४२१५,४२१२४,४४।१३ नैयायिक ४२॥३,४३।१,६,१३ नैयायिक-शासन १।१०,४२११
[प] प्रत्यवाय ४४।१८,४५१३," प्रत्यक्ष १११६ प्रतिपाद्य १४७ प्रतिपादक १४।७ प्रतिभास ५।१२,१३,१४,१६,१७,६।१७,१८,१११५,
१३१५ प्रतिषेध १७११६ प्रत्यभिज्ञान १८७ प्रमा १५१५ प्रमाण ४२।४ प्रमेय ४२१४ प्रपञ्चाध्यवसाय श९ प्रयोजन ४२४ प्रशस्तपाद ३६।२८ पञ्चशिखी १६०२
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