Book Title: Satrahavi Shatabdi Ke Uttar Pradesh Ke Katipay Vishishta Jain Vyapari
Author(s): Umanath Shrivastav
Publisher: Z_Jain_Vidya_evam_Prakrit_014026_HR.pdf

View full book text
Previous | Next

Page 17
________________ सत्रहवीं शताब्दी के उत्तरप्रदेश के कतिपय विशिष्ट जैन व्यापारी 123 (6) जैन समाज में धार्मिक विश्वास की जड़ें काफी गहरी थीं। उस समय किसी व्यक्ति की सम्पन्नता का अनुमान उसके द्वारा किये गये धार्मिक कार्यों से लगाया जाता था। अगर किसी व्यक्ति ने तीर्थ यात्रा-संघ निकाला, तो वह 'संघवी' या 'संघपति', यदि कई तीर्थों के लिए संघ निकाला तो 'संघाधिपति' कहलाता था। ये पदवियाँ जैन समाज में सम्पन्नता का परिचायक थीं तथा उनको समाज में सर्वोच्च स्थान प्राप्त होता था। इन सब कार्यों में काफी धन खर्च होता था। प्रायः लगभग सभी जैन व्यापारियों ने धार्मिक कृत्य किये। इतिहास विभाग पटना विश्वविद्यालय पटना, बिहार / परिसंवाद-४ Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

Loading...

Page Navigation
1 ... 15 16 17