Book Title: Sarth Dashvaikalik Sutram
Author(s): Jayanandvijay
Publisher: Guru Ramchandra Prakashan Samiti

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Page 178
________________ बुद्धिमान् साधु को सम्यक् प्रकार से विचारकर तीन गुप्तियों से गुप्त मन-वचन-काया से गुप्त होकर जिनवाणी का आश्रय लेना अर्थात् जिनाज्ञानुसार चारित्र का पालन करना ।।१८। तीर्थंकरादि द्वारा कहा हुआ मैं कहता हूँ। ___ श्री दशवैकालिके द्वितीय चूलिका संबंध - प्रथम चूलिका में संयम मार्ग में शीथिल बनकर संयम छोड़ने के भाव करनेवाले आत्मा को स्थिर करने हेतु मार्गदर्शन दिया। अब इस चूलिका में संयम में स्थिर साधु की स्थिरता हेतु विहार संबंधी विवरण दर्शाया है। यहां विहार का अर्थ दैनिक चर्या है। दिनभर अर्थात् जीवन भर के आचार पालन के स्वरूप को दर्शाया है। उपयोगी शब्दार्थ - (चूलिअं) चूलिका को (पवक्खामि) कहेंगे ।।१।। (अणुसोअपट्ठिअ) विषय प्रवाह के वेग में अनुकुल (पडिसोय) विषय प्रवाह के विपरीत प्रतिश्रोत (लद्धलक्खेणं) लब्ध लक्ष्य (दायव्वो) देना (होउकामेणं) मुक्ति की इच्छावाले ।।२।। (आसवो) दीक्षारूपी आश्रम (उत्तारो) उत्तार ॥३।। (दट्ठव्वा) जानने योग्य ॥४॥ . (अनिएअ) अनियत (पइरिक्कया). एकान्तवास ।।५।। (आइन्न) आकीर्ण राजकुलादि (ओमाण) अपमान, (विवज्जमाणा) वर्जन (ओसन्न) प्रायः करके (दिट्ठहड) देखकर लाया हुआ (जइज्जा) यत्न करे ।।६।। (पयओ) प्रयत्न करनेवाला ।।६।। (पडिन्नविज्जा) प्रतिज्ञा करावे (कहिं) कदाचित्, किसी भी ।।८।। (असज्जमाणो) आसक्ति रहित ।।१०।। (संवच्छरं) वर्षाऋतु (आणवेइ) आज्ञा करे ।।११।। (पुव्वरत्त) प्रथम प्रहर (अवररत्त) अंतिम प्रहर (सक्कणिज्ज) शक्य हो वह ।।१२।। (खलिअं) प्रमाद (अणुपासमाणो) · विचारनेवाला, देखनेवाला ।।१३।। (आइन्नओ) जातिवंत (खलीणं) लगाम ||१४|| (पडिबुद्ध जीवी) प्रमाद रहित ।।१५।। (उवेइ) प्राप्त करता है, पाता है ।।१६।। विक्क्ति चर्या :..... चूलिअं तु पवक्खामि, सुअं केवलि-भासि .. . जं सुणितु सुपुण्णाणं, धम्मे उप्पज्जई मई ||१|| सं.छा.: चूलिकां तु प्रवक्ष्यामि, श्रुतं केवलिभाषितम्। - यच्छ्रत्वा सुपुण्यानां, धर्मे उत्पद्यते मतिः ।।१।। भावार्थ : मैं उस चूलिका की प्ररूपणा करूंगा जो चूलिका श्रुतज्ञान है केवल ज्ञानी भगवंतों ने कही हुई है, जिसे श्रवणकर पुण्यवान् आत्माओं को अचिन्त्य चिंतामणी ' रूपी चारित्र धर्म में श्रद्धा उत्पन्न होती है।।१।। अणुसोअ-पट्ठिअ-बहुजणंमि, पडिसोअ-लद्ध-लक्खेणं। श्री दशवैकालिक सूत्रम् - 175

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