Book Title: Saraswatollas Ek Drushtipat Author(s): Bhuvanchandravijay Publisher: ZZ_Anusandhan View full book textPage 5
________________ अनुसंधान-१६ * 244 (सोना के चांदीना सिक्कानी पंक्ति)- आ शब्दो तो संस्कृत छ / 'ढिंकुला' (15) छे त्यां 'ढीकली' अथवा 'टिकली' होइ शके / 'मध्यकालीन गुजराती कोश'मां 'ढीकली' शब्द छे, जेनो अर्थ छे 'पत्थर फेंकवा, यन्त्र'। 'ढिंकुला' पण आ ज अर्थमां वपरातो होय एम बने / हस्तप्रत तपासवी जोइए / 'गिलोल'ने ढोकली कहेता होय तो पण ना नहि / 'कुलस्त्रीओना हाथरूपी गिलोलमांथी छूटेला लाडुरूपी गोळा क्षुधारूपी शत्रुनो नाश करे छे / " 'मेराज्यक' (45) जेवो ज 'मेरात्रिक' (46) शब्द पण तळपदो शब्द छ / सुकुमारिका (17) ए 'सुंवाळी' अने सेवा (18) ए सेव छे। दीवालीना दिवसोमां सेव अने सुंवाळी बनाववानो रिवाज आजे पण प्रचलित छ / Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.orgPage Navigation
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