Book Title: Sanyam ka Saundarya
Author(s): 
Publisher: Z_Kusumvati_Sadhvi_Abhinandan_Granth_012032.pdf

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Page 1
________________ ४. संयम का सौन्दर्य एक राजा रुग्ण हो गया। अनेक उपचार कर- राजा ने अपने मन्त्री से कहा-चलो, लम्बा समय | वाये तो भी राजा स्वस्थ नहीं हुआ। अन्त में एक हो गया है महलों में बैठे-बैठे। जी घबरा उठा है। अनुभवी वैद्य ने राजा को कहा मैं आपको पूर्ण मन बहलाने के लिए बगीचे में घूमने की इच्छा हो स्वस्थ बना सकता हूँ, पर शर्त यही है कि आपको रही है। मेरी बात माननी होगी । मैं नो भी कहूँ वैसा आपको मंत्री ने कहा-राजन ! धमने के लिए महल Call करना होगा । ब्याधि से संत्रस्त राजा ने स्वीकृति की छत बहत ही बढिया है, यदि वह पसन्द नहीं है सूचक सिर हिला दिया। चिकित्सा प्रारम्भ हुई तो तालाब के किनारे चलें, जहां पर शीतल मंद और कुछ ही दिनों में राजा पूर्ण स्वस्थ हो गया। सुगन्ध पवन चल रहा है, नौका विहार करें । पर वैद्य ने विदाई लेते हुए कहा-राजन् ! आप रोग से , राजा तो बगीचे में जाने हेतु तत्पर था। मंत्री उस मक्त हो चके हैं पर अब आपको मेरे बताये हुए बगीचे में ले जाना चाहता था जिस बगीचे में आम पथ्य का अच्छी तरह से पालन करना होगा। के पेड नहीं थे। पर राजा ने यह हठ की कि मुझे || राजा ने पूछा-बताओ, कौन-सा परहेज है, आम खाने की मनाई की है, किन्तु आम के पेड़ों की ऐसी कौन सी वस्तु है जिसका उपयोग मुझे नहीं की हवा खाने की थोड़े ही मना की है। करना है। ____ मंत्री ने कहा-राजन् जिस गाँव में नहीं जाना। वैद्य ने कहा-आम का फल आपके लिए जहर है, उस गाँव का रास्ता क्यों पूछना ? वैद्य ने आपके है जीवन भर आपको आम नहीं खाना है। लिए स्पष्ट शब्दों में निषेध किया है। कृपा कर ___राजा को आम अत्यधिक प्रिय थे। वह हर ऋतु आज आम के बगीचे की ओर घूमने हेतु न पधारें। में आम खाता था। जब उसने यह सुना कि आम राजा ने कहा-तुम बहुत ही भोले हो। वैद्य नहीं खाना है तो उसने पुनः वैद्य से जिज्ञासा प्रस्तुत तो केवल मानव को डराने के लिए ऐसी बात कहते की-बताइये, दिन में कितने आम खा सकता हूँ। हैं । वैद्य की बात माननी चाहिए, पर उतनी ही जो वैद्य ने स्पष्ट शब्दों में कहा कि एक भी आम उचित हो। आप नहीं खा सकते । यदि भूलकर आपने आम खा मंत्री ने कहा-आप अपनी ओर से मौत को लिया तो फिर किसी भी वैद्य और चिकित्सक की निमन्त्रण दे रहे है । मेरी बात मानिये और आम शक्ति नहीं कि आपको बचा सके। इस परहेज का के बगीचे की ओर न पधारिये। पालन करेंगे तो आप सदा रोग से मुक्त रहेंगे। राजा ने कहा-वैद्य ने आम खाने का निषेध राजा ने वैद्य की बात सहर्ष स्वीकार ली । चैत्र किया है, आम के पेड़ों की हवा खाने के लिए का महीना आया । आम के फल वृक्षों पर मंडराने निषेध नहीं किया है । चलो कई महीनों से आम के लगे । कोयल के कुहूक की आवाज कुहकने लगी। बगीचे में नहीं गये हैं। राजा आम के बगीचे में सप्तम खण्ड : विचार-मन्थन 0 साध्वीरत्न कुसुमवती अभिनन्दन ग्रन्थ Jain Education International FO P ate & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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