Book Title: Samvatsari Pratikraman Vidhi and Explanation of Svetambar Murtipujak Tapa Gachchh Tradition
Author(s): Pravin K Shah
Publisher: JAINA Education Committee
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Spiritual Celebration after Completion of Pratikraman Avashya
2.1 Daily (Devasia) Pratikraman - Part1
Aloyana and Pachchhakhan (6th Avashyaka)
Even though the Pachchhakhan is the 6th Avasyak, we need to take the vow of Pachchhakhan in the beginning because it should be taken before sunset. However, we will recite 6th Avasyak's other sutras at its proper place.
Also, before we take Pachchhakhan, we need to do Aloyana if we have taken food or water during the day.
Doing Aloyana and Pachchhakhan Vidhi
फिर (दिन में पानी पिया हो तो) खमासमण, इच्छाकारेण संदिसह भगवन् मुहपति
पडिलेहुं? इच्छं कहकर,
मुहपति का पडिलेहण करें.
फिर (आहार किया हो तो) दो बार वांदना दें.
फिर इच्छकारि भगवन् पसाय करी पच्चक्खाण का आदेश देनाजी कहकर, गुरु महाराज से
( न हो तो सामायिक में स्थित वडील गृहस्थ से या स्वयं) पच्चक्खाण लें. (This vidhi is a [part of 6 Avashyaka)
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Chaityavandan
Before we begin any pious ritual, it is a tradition to pray Tirthankars by doing Chaitya Vandan. Here we do long Chaitya Vandan (4 Thoys instead of one Thoy as done in the Temple).
1st Thoy dedicated to Specific Tirthankara
2nd Thoy dedicated to all 24th Tirthankars
3rd Thoy dedicated to Jnan (Gyan)
4th Thoy dedicated to Dev and Devi for protection
फिर खमासमण इच्छाकारेण संदिसह भगवन् चैत्य-वंदन करूं? इच्छं, कहकर गुरु महाराज ( न हो तो सामायिक में स्थित वडील गृहस्थ या स्वयं) सकल-कुशल- वल्ली, चैत्य-वन्दन (सकलार्हत् ) और जं किंचि कहें.
फिर
नमुत्यु णं, अरिहंत-चेइआणं सूत्र (सूत्र नं. 19) कहकर, एक नवकार का काउस्सग्ग कर, काउस्सग्ग पारकर नमोर्हत् कहकर पहली स्तुति (स्नातस्या की) कहें.
फिर लोगस्स, सव्व- लोए अरिहंत चेइआणं सूत्र (शुरुआत में सव्व लोए शब्द पूर्वक अरिहंतचेइआणं सूत्र) (सूत्र नं. 19) कहकर, एक नवकार का काउस्सग्ग कर, काउस्सग्ग पारकर, दूसरी स्तुति (स्नातस्या की) कहे.
फिर
पुक्खर - वर सूत्र कहकर, एक नवकार का काउस्सग्ग कर, काउस्सग्ग पारकर, तीसरी स्तुति ( स्नातस्या की) कहें,
फिर सिद्धाणं बुद्धाणं, वैयावच्च-गराणं सूत्र कहकर एक नवकार का काउस्सग्ग कर, काउस्सग्ग पारकर, नमोर्हत् कहकर, चौथी स्तुति (स्नातस्या की) कहें.
Note -
We recite Namorhat sutra for 1st and 4th Thoy because in the beginning and at the end we
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