Book Title: Sambodhi 1989 Vol 16
Author(s): Ramesh S Betai, Yajneshwar S Shastri
Publisher: L D Indology Ahmedabad

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Page 8
________________ राधाकृष्णमहं नमामि.... (श्री सर्वपल्लीपञ्चकम् ।) डॉ. जयदेव जानी ख्रिस्ताब्दस्य वसुत्रयारुणमिते (१८८८) वर्षे च सप्टेम्बरे मासे जातममु सुशीलसरल मद्रासराज्यारुणम् । रस्यन्तां मम वाग्विलासविभवा मद्राससाथी कर' राधाकृष्णमह नमामि सततं विद्वद्विलासाम्बुधिम् ।।१।। आर्यावत निवासिनां निरुपमा राजत्प्रभां सस्कृति प्राणान्तेऽपि न योऽत्यजत् समवहद् गण सम्मानतः । स्वाचारेण स शिक्षकः समभवत् श्रीसर्वपल्लीमुद राधाकृष्णमहौं नमामि सतत विद्वप्रिय ज्ञानिनम् ॥२॥ धर्माणामुदधि प्रविश्य सतल संशोध्य सारस्वत सगृह्याऽऽतततत्त्वरत्ननिचय संग्रथ्य सस्थापकम् । संघ शुद्धधिय च' सर्वसुखदं विद्वत्पुरःस्थापक राधाकृष्णमह नमामि सतत' प्राचीनतासंप्रियम् ।।७।। यस्याऽभूच्च नियुक्तिरेव विदिते देशेऽतिसौहार्दिते सोव्येते * सरसे समृद्धिजनके सन्मित्रतापादके । त तत्राऽविरत स्वशुद्धमतिदं देशप्रिय शारद राधाकृष्णमह नमामि सतत शान्तिप्रिय संस्कृतम् ॥४॥ योऽस्माक गणतन्त्रशासनधुरां शान्त्या समत्वेन च वर्षाणां दश चोपराष्ट्रपतिरित्याख्यां दधार स्थितिम् । वर्षाणां दश सोऽथ राष्ट्रपतिरित्येव प्रसिद्धिश्च तं राधाकृष्णमह नमामि सततं देशे विदेशे प्रियम् ।।५।। * The Soviet Union

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