Book Title: Sahityik Unnayan me Bhattarako ka Avadan Author(s): P C Jain Publisher: Z_Parshvanath_Vidyapith_Swarna_Jayanti_Granth_012051.pdf View full book textPage 5
________________ 218 डा० पी० सी० जैन प्रहार किये गये तथा कुछ विद्वान् इनकी लोकप्रियता को समाप्त करने में बड़े भारी साधक भी बने, लेकिन फिर भी समाज में इनकी आवश्यकता बनी रही और व्रत-विधान और प्रतिष्ठा समारोहों में इनकी उपस्थिति आवश्यक मानी जाती रही। शुभचन्द्र, जिनचन्द्र, सकलकीर्ति प्रभाचन्द्र, ज्ञानभूषण जैसे भट्टारक किसी भी दृष्टि से आचार्यों से कम नहीं थे, क्योंकि उनका ज्ञान, तपस्या, त्याग और साधना सभी तो उनके समान थी और वे अपने समय के एकमात्र निर्विवाद दिगम्बर समाज के आचार्य थे। उन्होंने मुगलों के समय में जैन प्रयुक्त ग्रन्थ सूची 1. राजस्थान के ग्रन्थ भण्डारों की सूची के पांचों भाग-सं० डा० कस्तूरचन्द कासलीवाल 2. भटटारक सम्प्रदाय-विद्याधर जोहरापूरकर. 3. प्रभावक आचार्य-डा० विद्याधर जोहरापुरकर एवं डा० कासलीवाल 4. नागोर के ग्रन्थ भण्डारों की सूची प्रथम चार भाग- स० डॉ० पी०सी० जैन ( लेखक ) 5. जैन ग्रन्थ भण्डार्स इन जयपुर एण्ड नागौर-लेखक का 6. राजस्थान के जैन सन्त-व्यक्तित्व एवं कृतित्व 7. अनेकान्त की फाईलें. 8. जैन सिद्धान्त भास्कर की फाईलें, आदि आदि का / सहायक प्राध्यापक राजस्थान विश्वविद्यालय जयपुर ( राज०) Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.orgPage Navigation
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