Book Title: Repetition In Jaina Nrative Literature
Author(s): Klaus Bruhn
Publisher: Klaus Bruhn
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कोडिलक्ख ५०
उसम कोडीण परतिसहस्सा
कोहि लक्ख ५
अभिनंदन कोसीओ गति
चंदप्पम सागर ३०
सुमति
सुपाम
कोडि लक्स ३० । कोडिलक्स १० । . अजित
संभव कोडीण व सहस्ता
कोडीण गवसयाई पउमप्पह कोडी उणाय १०० | ६६२६००७ सागर५४वरि० सीतल
सेन्जंस मागर४ सागर३ जणाई पलियचउम्भाग ि३ अणंतह
धम्मस्स पलित चउभाओरडणउ वासकोडि१] वास कोडि १
कोडिओ णव
पुष्पदंत सागर ९
वासुपुज्ज
विमल
पलितद्धं १२
मंति बास लकख
मुणिसु.
वास लक्ख ५४
मलिस्स बाससया २५० पाथ
वर्धमान.
Repetition in Jaina narrative literature
ऊंयुस्स
बरिसलक्ख ५ नमिस्म,
वास सहस्सा ८३७५०
मिस्स
Fig. 4: Antaras (see $ 12 and fn. 41 ibid.).

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