Book Title: Rashtra ke Vikas me Samajwad ka Yogadan Author(s): Kanhiyalal Dungarwal Publisher: Z_Jain_Vidyalay_Hirak_Jayanti_Granth_012029.pdf View full book textPage 2
________________ ने वहां जाकर संघर्ष किया, गिरफ्तार हुए। 5 : नेपाल को राणाशाही से मुक्ति का आंदोलन / 6 : हैदराबाद को निजाम से मुक्त कर भारत में विलय का आंदोलन। 7 : देश की योजनाओं को दिशाहीन बताकर उन्हें देश में विषमता बढ़ाने के लिए जिम्मेदार बताया। खेती, पीने का साफ पानी, महिलाओं के लिए पाखाने, शिक्षा, रोजगार, सिंचाई आदि जनता की बुनियादी आवश्यकताओं की पूर्ति के बजाय योजनाओं ने चंद पैसे वाले कालाबाजारी, ठेकेदार, भ्रष्ट अफसर और नेता पैदा किये। इस पर बाहर और संसद में तीन आने बनाम पंद्रह आने की बहस चलाकर डॉ. लोहिया ने योजनाओं का पर्दाफाश किया। 8 : देश में और प्रजातंत्र में राजनैतिक दल न केवल चुनावी प्रक्रिया में लगे बल्कि रचनात्मक काम, संघर्ष, वोट, फावड़ा और जेल को प्रतीक के रूप में स्थापित किया और श्रम की प्रतिष्ठा के लिए हर समर्थ व्यक्ति एक घण्टा देश के लिए श्रम करें, यह नारा दिया, काम भी हुआ। 9 : प्रजातंत्र में भी अपनी सरकार के खिलाफ बल्कि हर अन्याय और अत्याचार के खिलाफ अहिंसक सत्याग्रह और सिविल नाफरमानी का सिद्धांत प्रतिपादित किया जिसे सरकारी और मठी गांधीवादियों ने अस्वीकार कर रखा था। दुनिया के सामने 20वीं सदी में दो ' ही विकल्प हैं गांधी या एटमबम / बेलेट या बुलेट नहीं बुलेट या सिविल नाफरमानी, ये बदलाव का विकल्प है। 10 : विदेश नीति में अतलांतिक और सोवियत गुटों को समान रूप से निरर्थक मानते हुए तीसरे गुट प्रजातंत्र और समाजवाद का गुट तैयार करना। संयुक्त राष्ट्र संघ में सभी देशों को बराबरी का अधिकार। वीटो का खात्मा और विश्व सरकार की स्थापना। || : पूंजीवाद और साम्यवाद एक ही सिक्के के दो पहलू हैं। दोनों गोरों की संस्कृति और आर्थिक केन्द्रीकरण के प्रतीक हैं। सही दुनिया के निर्माण के लिए समाजवाद, लोकतंत्र, अहिंसा, विकेन्द्रीकरण और सिविल नाफरमानी के सिद्धांतों को अपनाने पर जोर। समाजवाद को अंतर्राष्ट्रीय स्वरूप प्रदान करना और विश्व मैत्री कायम करना। 12 : अंग्रेजी के चलते समाजवाद की कल्पना निरर्थक है। इसलिए सार्वजनिक उपयोग, शिक्षा के क्षेत्र से अंग्रेजी हटाने एवं राष्ट्रभाषा हिन्दी और समस्त देशी भाषाओं को माध्यम बनाना। इस हेतु सक्रिय आंदोलन सफल हुए किन्तु पुन: अंग्रेजी का वर्चस्व बढ़ रहा है। 13 : नदियां साफ करो। कृषि और ग्रामीण व्यवस्था से संबंधित मेले दिल्ली में नहीं, कुम्भ मेले में लगाओ ताकि कोटि-कोटि ग्रामीण जनता उसका लाभ उठाये। 14 : विकेन्द्रीकृत अर्थ-व्यवस्था, छोटी मशीन की तकनीक अपनाना यानी जहां जरूरी हो जैसे देश की सुरक्षा और निर्यात के लिए बड़ी मशीन और जहां-जहां संभव हो छोटी मशीन ताकि रोजगार मिले। 15 : चौखम्भा राज। पंचायत, जिला, राज्य और केन्द्र में सत्ता का विकेन्द्रीकरण और पांचवां खम्भा विश्व पंचायत / 16 : अठारह साल के युवजनों को वोट का अधिकार। 17 : बुढ़ापे की पेंशन और बेरोजगारों को पेंशन। 18 : भूमि सेना और अन्न सेना का गठन। 19 : हिमालय बचाओ। तिब्बत पर चीन ने कब्जा किया उसका विरोध / तिब्बत पर चीन की सार्वभौमिकता मानकर राष्ट्र ने अपनी फौजें व संचार व्यवस्था हटा ली और चीन ने आक्रमण किया, हार हुई और आज भी लाखों वर्गमील जगह उसके कब्जे में है। मेकमोहन रेखा आजाद हिन्दुस्तान और आजाद तिब्बत के बीच सीमारेखा है अन्यथा हमारी सीमा कैलाश मानसरोवर और पूर्ववाहिनी ब्रह्मपुत्र नदी तक है। 20 : आरक्षण दिया जावे किन्तु उद्देश्य जाति विनाश हो। अंतरजातीय विवाह को बढ़ावा देना। आरक्षण शिक्षा के क्षेत्र में नहीं होना चाहिए। औरत, शुद्र, हरिजन आदिवासी और अल्पसंख्यक पिछले वर्गों को नौकरी, नेतागिरी में 60 सैंकड़ा आरक्षण। 21 : महंगाई भत्ते बढ़ाने से महंगाई कम नहीं होगी। दाम बांधना। खेती और कारखाने की वस्तुओं के बीच भावों का संतुलन। कारखाने की चीजें लागत मूल्य से डेढ़े से अधिक न बिकें। 22 : धर्म दीर्घकालीन राजनीति है और राजनीति अल्पकालीन धर्म। राजनीति और धर्म का विवेकपूर्ण समिश्रण। धर्मनिरपेक्ष राज्य। 23 : जयप्रकाशजी ने सर्वोदय आंदोलन अपनाया, समाजवादी आंदोलन विघटित हुआ किन्तु बाद में फिर उन्होंने गुजरात-बिहार आंदोलन का नेतृत्व किया और आपातकाल लगा, जिसमें विपक्ष को जेलें हुईं। जनता पार्टी उनके दबाव में बनी और केन्द्र से कांग्रेस की एक छत्र सत्ता हटी। 24 : 1967 में गैर कांग्रेस वाद की रणनीति से 9 राज्यों में कांग्रेस हारी। 25 : 1989 में बोफोर्स कांड, जनता दल का उदय और वी.पी. सिंह की सरकार केन्द्र में बनी। ___ आज भी समाजवादी अभियान चल रहा है। कांडला में कारगिल कम्पनी के खिलाफ नमक सत्याग्रह सफल रहा। जनता दल में भ्रष्टाचार और निष्क्रियता के खिलाफ बगावत / जनता दल (समता दल) का गठन। आज भी देश में समाजवादी रूझान के कई संगठन चल रहे हैं, किन्तु एक विशाल समाजवादी संगठन के अभाव में देश में बहुराष्ट्रीय कम्पनियों, भ्रष्टाचार, अनैतिकता, विषमता, पूंजीवाद के खिलाफ कारगर आंदोलन नहीं चल पा रहा है। राष्ट्र का विकास अवरुद्ध है। क्या नई पीढ़ी इस विरासत का लाभ उठाकर नया नेतृत्व देगी? क्या देश को पूंजीवाद और अमरीकी तथा यूरोपीय आर्थिक साम्राज्यवाद से छुटकारा दिलाने और नई समतावादी समाज की रचना के लिए देश में सभी समाजवादी और साम्यवादी अपने-अपने तंग दायरों को छोड़कर एक होंगे और देश और दुनिया को नई राह दिखाएंगे? सही सोच, कर्म और संगठन की जरूरत है, उसे पूरा करने का संकल्प करें। गांधी वाटिका, नीमच (म0 प्र0) हीरक जयन्ती स्मारिका विद्वत् खण्ड /7 Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.orgPage Navigation
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