Book Title: Rajasthan Swatantrya Sangharsh aur Jain Samaj Author(s): Tejsinh Tarun Publisher: Z_Kesarimalji_Surana_Abhinandan_Granth_012044.pdf View full book textPage 3
________________ 188 कर्मयोगी श्री केसरीमलजी सुराणा अभिनन्दन ग्रन्थ : षष्ठ खण्ड यही स्थिति शेष जिलों में देखने को मिलती है। भीलवाड़ा जिले के बनेड़ा निवासी श्री मोहनसिंह एवं उमराव सिंह ढाबरिया बन्धुओं ने अपने आस-पास के क्षेत्रों में ऐसी धूम मचाई थी कि आज भी दोनों बन्धुओं के नाम श्रद्धा से लिए जाते हैं। कोटा के बागमल बांठिया, मोतीलाल जैन, सोभागचन्द देवीचन्द्र, रिखबचन्द धारीवाल ने नाथूलाल जैन व हीरालाल जैन के सहयोग पर हाडौती में स्वतन्त्रता की ज्योति जलाई। कोटा में इन कतिपय जैन बन्धुओं ने ऐसी धूम मचाई थी जिसके आगे सेना को भी घुटने टेकने पड़े थे। बूंदी जिले में बरड़ क्षेत्र के हीरालाल कोट्या जैसे आग उगलने वाले साहमिक व्यक्ति का नाम भी लेना चाहूँगा जो इस क्षेत्र में अकेला जैन था, शेष अनुयायी भील और किसान थे, लेकिन स्वतन्त्रता की भावना को जिस तरह इस व्यक्ति ने एक पिछड़े क्षेत्र में पनपाया और आन्दोलन खडा किया, हमारे लिए गर्व की बात है। उपरोक्त नामों के साथ ही पाली के तेजराज सिंघवी, चरू के बद्रीप्रसाद, चित्तौड़गढ़ के फतहलाल चंडालिया, अजमेर के जीतमल लूणिया, भरतपुर के रामचन्द्र जैन व डीग के रामस्वरूप जैन, किशनगढ़ के अमोलकचन्द्र सुराणा, उदयपुर के हीरालाल कोठारी, हुकुमराज मेहता, भीलवाड़ा के रोशनलाल चोरड़िया, जयपुर के सरदारमल गोलेछा, जोधपुर के सुगनचन्द भण्डारी, ऋषभराज जैन, इन्द्रमल जैन, पारसमल खिमेसरा को भी नहीं भूला जा सकता है, जिन्होंने प्रदेश में चले अन्दोलन को तन-मन-धन से सींचा और आगे बढ़ाया / 'प्रशासनिक अधिकारियों का सहयोग अब तक हमने सार्वजनिक कार्यकर्ताओं का ही परिचय दिया है, लेकिन प्रदेश में लगभग सभी रियासतों में जैन उच्च अधिकारियों की भी एक लम्बी सूची है। इन अधिकारियों ने भी अप्रत्यक्ष में स्वतन्त्रता आन्दोलन को अपना सहयोग दिया / उदाहरणार्थ-मेवाड़ राज्य के राजस्व मन्त्री मनोहरसिंह मेहता, बांसवाड़ा के दीवान डॉ. मोहनसिंह मेहता, बिजोलिया के कामदार हीरालाल पटवारी, जयपुर के नथमल गोलेछा व प्यारेलाल कासलीवाल व कोटा के बुद्धसिंह बाफना ने सदैव स्वतन्त्रता सेनानियों के प्रति सहृदयता एवं सहयोग का व्यवहार किया। यदि मेवाड़ में बिजोलिया व बेगू के किसान आन्दोलन में मनोहरसिंह मेहता का सहयोग न होता तो पता नहीं कितना खनखराबा होता / ऐसे ही बाँसवाड़ा के दीवान डॉ० मोहनसिंह मेहता की जगह और कोई होता तो पता नहीं कितने आदिवासी भाई मौत के घाट उतार दिये गये होते / अत: स्वतन्त्रता-आन्दोलन को अधिकारियों का भी कई नाजुक क्षणों में जो योगदान रहा, भूला नहीं जा सकता। सिंहावलोकन संक्षेप में मैं यह लिखना चाहूँगा कि प्रदेश के जैन-बन्धुओं का देश के स्वातन्त्र्य संघर्ष में एक अविस्मरणीय एवं स्तुत्य सहयोग रहा है / इस सम्पूर्ण घटनाचक्र में एक उल्लेखनीय बात यह भी रही कि जैन समाज के उच्च, मध्यम एवं निम्नवर्ग के सभी भाई सम्मिलित थे, उन्होंने किसी न किसी तरह का सहयोग किया / जहाँ नाथद्वारा के छज्जुलाल पोरवाल एवं डाबी के हीरालाल कोट्या जैसे सामान्य परिवार के व्यक्तियों ने आन्दोलन में भाग लिया वहीं जयपुर के रामल लोढ़ा व सरदारमल गोले छा जैसे सम्पन्न परिवारों का भी महत्त्वपूर्ण योगदान रहा। आज हम सभी के सिर इन भाइयों के कारण गौरवान्वित हैं और आशा है भविष्य में भी जब-जब देश पर संकट होगा, यह श्रेष्ठ समाज अपने को पीछे नहीं रखेगा। GOD Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.orgPage Navigation
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