Book Title: Puratattva Mimansa
Author(s): Jinvijay
Publisher: Z_Anandrushi_Abhinandan_Granth_012013.pdf

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Page 23
________________ Marwasenaw marsuramanarsanaraaaaaauremarriawaaonounswomadiseonainaasaadalabadlabarsaseccidenside view MarwwwimwarwwwvivatmarAmAvie 180 इतिहास और संस्कृति देखने को मिल जायगा, जिसमें हमारी मन:कामना पूर्ण होकर रहेगी, और भारत का पुरातत्त्व विभाग, स्वतन्त्र भारत के सार्वभौम अधिकार के नीचे, अपना गौरव प्रस्थापक अन्वेषणात्मक कार्य, उत्साहवर्धक स्थिति में करता हुआ देखने को मिलेगा। स्वतन्त्रता की प्राप्ति के बाद भारत सरकार ने अपने पुरातत्त्व विभाग को मी सुव्यवस्थित और सुसंगठित करने का प्रयत्न किया है। इस विभाग की ओर से 1953 में, सन् 1902 से लेकर 1950 तक के 50 वर्षों का 'आकियॉलॉजिकल सर्वे ऑफ इण्डिया' के कार्य का विवरण प्रकाशित किया है, जिसमें भारत के पुरातत्त्व विषयक अन्वेषण, अनुसन्धान, संरक्षण, समुत्खनन आदि कार्यों के बारे में यथाप्राप्त विवेचन लिखा गया है। साथ में अब भविष्य में क्या-क्या काम किये जाने चाहिए, इसका भी कुछ दिग्दर्शन कराया गया है। आशा है इस 'राजस्थान पुरातत्त्वान्वेषण मन्दिर' द्वारा भी इस कार्य में यथायोग्य ज्ञानवृद्धि करने-कराने का अभीष्ट प्रयत्न होता रहेगा। Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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