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3rd Proof Dt. 19-7-2018 - 68
• महासैनिक .
एवं अंतर्वैराग्य को लगातार बढ़ाये-बनाये रखने का ही काम किया ("अंतग्लानि संसारभार, पलक पेलेते कोथा एकाकार" - रवीन्द्रनाथ ठाकुर)।
बापू के १५ दिन के पूना के निश्रागत-आश्रय और श्रीमद्जी के 'मोक्षमाला' के अंतरस्थप्रश्रय : एक से निसर्गोपचार-निष्ठा, दूसरी से आत्मदर्शन-अभीप्सा : दोनों ही लौ सतत जलती रहीं अनुकूल-प्रतिकूल सभी परिस्थितियों के बीच । श्रीमद्जी-गांधीजी दोनों से परोक्ष-प्रत्यक्ष प्रथम प्रभावों से प्रभावित यह जीवनयात्रा आज अंत तक भी वैसी ही प्रभावित रही है। योगानुयोग अभी ही इन दोनों युगपुरुषों संबंधित नाटक 'महात्मा के महात्मा' का दर्शन हुआ है और इस अल्पज्ञ के हाथों १५०वी श्रीमद् जन्मशती के 'राजगाथा'लेखन राजकथा','महासैनिक'नाटक मंचनादि (श्री सहजानंदघन गुरुगाथा के उपरान्त) परमगुरु संपन्न करा रहे हैं।
३० जनवरी के गांधी-निर्वाण तिथि के दिन बापू की पावन स्मृतियों में डूबकर यह लघु आलेख समापन हो रहा है। सुदूर जीवनकाल से अंतस् में संजोया हुआ उपर्युक्त श्रीमद्जी का आदर्शगान और आदर्शवचन सतत दृष्टि-सन्मुख रहे हैं : "अपूर्व अवसर एवो क्यारे आवशे ?" एवं "युवावय का सर्वसंग परित्याग परमपद-प्रदान करता है।" - इस जीवन में बाहर से तो न सही, आगामी जन्म में तो यह अवश्य ही सिद्ध होकर रहेगा और परमकृपालु अमृतसागर परमगुरु केवली श्रीमद्जी के पवित्र श्रीचरणों में पहुँचकर यह जीवन उन्हें, प्रत्यक्ष समर्पित होगा ही। उनकी ही कृपा यह सिद्ध करवाएगी ही। सत्पुरुषों का योगबल जगत का कल्याण करो! जयजगत् । शिवमस्तु सर्व जगतः ।
ॐ शान्तिः शान्तिः शान्तिः ।
(०२-०६-२०१६, १८-०१-२०१७, एवं बापू निर्वाण दिन ३०-०१-२०१७)
इस लेख के समापन के समय बेंगलोर के Deccan Herald दैनिक (31-1-2017) में समाचार है कि कर्नाटक के मांडा जिले में 200 दो सौ शय्याओं का विशाल "निसर्गोपचार अस्पताल" खुलेगा । फिर भारतीय संस्कृति आर्षदृष्टा जैनाचार्य विद्यासागरजी भी अहिंसा तीर्थ सोनागिर में प्राकृतिक चिकस्सालय की आयोजना करवा रहे हैं । जय हो बापू के दरिद्रनारायणों के निसर्गोपचार की! - प्र. (बापूनिर्वाण दिन 30-1-17)।
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