Book Title: Pravachansara Padyanuwada
Author(s): Hukamchand Bharilla
Publisher: Todarmal Granthamala Jaipur

View full book text
Previous | Next

Page 21
________________ - - - - - - - - चैतन्य का गुणगान तो उतना ही कम जितना करो। थोड़ा-बहत जोकहा वह सबस्वयंस्वाहाहो गया / / निज आतमा को छोड़कर इस जगत में कुछ अन्य ना। इकवही उत्तम तत्त्व है भवि उसी का अनुभव करो / / 22 / / - - - - - - - - - - - - (दोहा) क्रिसमस के दिन चतुर्दशी अगहन सुदशनिवार। पूर्ण हुआ यह विक्रमी इकसठ दोय हजार / / - - - - - - - - - - (22) -- - ---- - - - --- - - - - ---- - - - - ---- - - - (77) (85) -

Loading...

Page Navigation
1 ... 19 20 21