Book Title: Pramey Kamal Marttand
Author(s): Mahendrakumar Shastri
Publisher: Satya Bhamabai Pandurang

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Page 891
________________ काम्यनिषिद्धकर्म कायाकारपरिणत भूत कालप्रत्यासत्तिः कुण्डलादिषु सर्पवत् कुरुक्षेत्र लंकाकाश कुल्याजल कुष्टिनीनीवत् कुसू ल कूर्म रोमादि कृतनाशाकृताभ्यागमदोष ५२१ १८ ३२९|६;६५४|१७ | घृतादिना संस्कारे कृत्तिकोदय कृषीवलादि १६७ १४ केवलिन् २९९।३०; ३०१।१४ चतुरङ्गवाद केशोण्डुकज्ञान २३३८; २४०११९ | चन्द्रकान्त ६३ ७ चन्द्रार्कादिविषय केशोण्डुकादिकादि कैटभद्विष् ६८८ २ चाण्डालादि कौपीन ६६१।१६; ६६९/२४ चार्वाक क्रियाविशेषयज्ञोपवीतादि ४८६ ७ चार्वाकमत क्षणक्षयस्वर्गप्रापणशक्ति ५०३ ९ चित्रकूट क्षत्रियविट्शूद ४८७ १० चित्रज्ञान क्षर क्षायिक क्षायोपशमिक खररटित खरविषाण विशिष्टशब्दाः ३०९ २४ | गृद्धवराहपिपीलिकादिप्रत्यक्ष ११८१४ ५०२ ८ गृहस्थ ५२२ २ गोत्रस्खलन ५६५ ३ गोमयादि ५५१ २३ | गोमांस ३१६ ८ | गोलकाद्याश्रय ३ | घटमा मारामादि २८३ ७५ १० घटाद्यवच्छेदकभेद घाति कर्मचतुष्टय च खरशृंग खात्पतिता नो रत्नवृष्टिः पुष्प संसर्ग गजनान गण्डक गतसर्पस्य वृष्टिकुट्टन न्याय गर्दभाश्वप्रभवात्य गिरितरुपुरलतादि गुणव्यतिरिक्त गुणी गुरु Jain Educationa International २६८ १५ | चित्रपय्यादिज्ञान २४५ २७ | चित्रसंवेदन २४५ २६ २८ ११ | चित्राद्वैत ६१७ | चित्रैकज्ञान ५०५ १७ चोदना १६८ १३ | जिनपतिमत ૬૨૪ २५१/२२; २५८/३ ३३१ ५ ४४९ २० ११८ ९ ६३२ ३ २२२ ९ पादयोः ७२७ For Personal and Private Use Only ७३ १३ ६७ २ २५९ ६ २२२ १० ६४५ १३ ६५।१; ५४७ १९ २६ G ४८६ १९ १८० १ ५७१।१; ५७९/१४ २१३ १५ ९२ ૩ ६९ १४ ५१४/२२; ५१६१५; ५२०/२२ ६| जिनपतिमतानुसारिन् ६९० ३० | चोदनाजनिताबुद्धि ५४ १०१११ २ | जपापुष्पसन्निधानोपनीत१६६ ૬ स्फटिकरतिमा ३४७ २० | जलनिमग्न महाकायगजादि ५४० २१ ६३।६; जलादेर्मुक्ताफलादिपरिणाम २३० ७६।१२ | जाततैमिरिक ४८३ २१ | जाततै मिरिक प्रतिभासविषय ५७ ४३८ जिन १५९१८ ६ ३०५ १८ २९२ ९ ३७७ ९५ ३ ५४६ १८ २५३ २० १७५२१ www.jainelibrary.org

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