Book Title: Praman Varttikam
Author(s): Rahul Sankrutyayan
Publisher: Kitab Mahal
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विषय-सूची
पृष्ठं
नमस्कारश्लोकः
(घ) सामान्याभावे प्रत्यशास्त्रारम्भप्रयोजनम्
भिज्ञासंगतिः २०५ १. हेतु-चिन्ता
(ङ) तद्वत्ता-निश्चयः २१३ (१) पक्षधर्मता
(२) सांख्यमत-निरासः ३२० (३) जैनमत-निरासः
३३६ (२) हेतु-लक्षणम् (३) हेतु-स्त्रिधा
८ ५. शब्द-चिन्ता ३४१ (४) हेत्वाभासाः
(१) प्राप्तशब्द-चिन्ता ३४२ २. अनुपलब्धि-चिन्ता २९ (२) निर्हेतुक-विनाशः (१) दृश्यानुपलब्धिफलम् ।
(३) अनुपलब्धि-चिन्ता ३७० (२) अनुपलब्धिश्रतुर्विधा ।
क. अनुपलब्धेः प्रामाण्यम् (क) शेषवदनुमाननिरास: ५६
.. ख. स्वाभावानुपलब्धिः ३७८ (ख) त्रिरूपहेतुनिश्चयः ५७
ग. अनुपलब्धिरेवाभावः ३७६
घ. कल्पितस्यानुपलब्धिः ३८८ ३. व्याप्ति-चिन्ता
६. आगम-चिन्ता ३८९ (१) दिग्नागेष्ट: प्रतिबंधः ,, (२) प्राचार्यांयमतनिरासः
(१) पौरुषेयत्वे
३६६ (३) वैशेषिकमतनिरासः
क. पुरुषातिशयप्रतं वचनं (४) अविनाभाव-नियमः
प्रमाणम् ४. सामान्य चिन्ता १०७ . ख. सत्कायदर्शनं दोषकार
४०१ (१) न्यायमीमांसामतनिरासः १३६ णम्
(क) व्यावृत्तस्वभावा भावाः ,, ७. अपौरुषेय-चिन्ता ४०३ (ख) भिन्नानामभिन्न कार्यम् १७७ (१) सामान्येने (ग) अपोहस्य विजातीय
क. अपौरुषेयत्वाऽप्रामाण्यम् ४१० व्यावर्तकत्वं १८६ ख. सम्बन्ध-चिन्ता
४०३
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