Book Title: Prakritadhyaya
Author(s): Kramdishwar, Satyaranjan Banerjee, Dalsukh Malvania, H C Bhayani
Publisher: Prakrit Text Society Ahmedabad

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Page 112
________________ Vr. VII. 26-27 Vr. VIII. 24 Ho. IV. १ T. III. 1.69 -IV. 44] . तिङन्त-कार्यम् बहूत्तमे ॥४०॥ बहु-वचने उत्तमे परे इङ भवति वा ॥ हसिमो हसामो वा ॥ मिड्याद् दी? वा ॥४॥ हसामि हसमि वा॥ णिङश्चा[वै] एङ वा ॥४२॥ णिङः स्थाने आवे भवति ॥ एङ वा॥ कारावेइ कारेइ वा॥ आविर्वा त.भावकर्मसु ॥४३॥ Vr. VII. 28 कारिओ काराविओ वा। कारिजइ काराविज्जइवा [अथ घात्वादेशाः] जल्पादेर्ज पादिः ॥४४॥ जल्पादेर्धातोः स्थाने जंपादिर्भवति ॥ जंपइ॥ (१) धूर्ण धोण ॥ (२) त्वरा तुवर ॥ (३) णुद णोण्ण ॥ (४) दुङ दुम्म ॥ (५) पाटि फाल" ॥ (६) जभि जंभाअ जिंभाअ॥ (७) तृप् थिप्प थेप्प ॥ (८) घट गढ ।। (६) सन्सु ओस ॥ (१०) निषद णुमज ॥ (११) आङ रम् आढव ॥ (१२) उत्-शत् उत्थल (१३) पिबति घोट्ट ॥ (१४) अस घिस ॥ (१५) चित्र चिण ॥ (१६) क्षि जिज्म' ॥ (१७) क्षिप् विज ॥ (१८) भिद् भिंद ॥ (१६) छिद् छिद11 ॥ (२०) कथ कड्ढ ॥ (२१) वृधु वुड्ढ12 ॥ (२२) हन् हम्म13 ॥ (२३) व्रज वच्च ॥ (२४) नृति 4 णच ॥ (२५) बुध बुज्झ15 ॥ (२६) युध जुज्झ ॥ (२७) प्रच्छ् पुच्छ ॥ (२८) शद्लू सड16 ॥ (२६) पत्ल पड ॥ (३०) पठ, पढ17 ॥ 1) P. आरे। ) P. डारिर। 3) P. कारारिओ। 4) P. कारारिज्जह । 5) V reads जम्पादिर्जल्पादेः। 6) P. दुख दूम्म । 7) P. फाल and काल | 8) Not found in DV. ५) P. धस । 10) D. जिज्म ! P. मिज्म । 11) DV. छिथ ।। 12) DV. वद्ध ।। 13) P. हम्म हह्य ॥ 14) DV. नृती। 15) P. वुज्ज 11 16) P. सड्ढ । 17) After this P has तक्ष ; वप्प वच्छ ; but D gives them after the sutra No. 46. Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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