Book Title: Pragnapana Sutra Ek Parichay Author(s): Prakashchand Jain Publisher: Z_Jinavani_003218.pdf View full book textPage 5
________________ | 272. . जिनवाणी- जैनागम-साहित्य विशेषाङक औपक्रमिकी, निदा एवं अनिदा नामक वेदनाओं की अपेक्षा जीवों का विचार किया गया है। 36. छत्तीसवें समुद्घात पद में में वेदना, कषाय, मरण, वैक्रिय, तैजस, आहारक और केवली समुद्घात को अपेक्षा जीवों की विचारणा की गई है। इसमें केवली समुद्धात का विस्तृत वर्णन है। . प्राचार्य, श्री महावीर जैन स्वाध्याय विद्यापीठ, जलगांव 319, भीकमचन्द जैन नगर, प्रिम्पाला रोड़, जलगाव-425001 Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.orgPage Navigation
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