Book Title: Pattavali Samucchaya Part 1
Author(s): Darshanvijay, Gyanvijay
Publisher: Jinshasan Aradhana Trust
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२१२
नाम
कनकविजय- १०६ कनकशेखर - २०६
कनकेन्दु- २०४
कमर्षि - १०३
कमल विजय ८७, ६६ कमलसूरि - ११७, कर्पूरविजय - १०५, कल्याणचन्द्रसूरि - १७६
पट्टावली - समुचयः
नाम
पत्राणि
११८, ११६
१११, ११५
कल्याणमित्र (त्त ) - १५, २२, १४० कल्याणविजयगणि- ७७, १०६, १३७
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कल्याणसागर - १६२ कस्तुरविजयगणि- ११४ कान्तिविजय - ११६, १६५ काभिड्डी - ४. ६
कालग (अ) (य) - ६, १०, १६, १७, १८, ५१, १४० कालिकाचार्य्य १७, १८, २४,४६, ४७, १५०, १५२, १६५, १६६, १६७, १६७, १६८
कित्तिमित्त - १५
कीर्तिमित्र - २२
कीर्तिरत्नसूरि- १०६
कीर्तिविजय - १०५, १०६, ११२, ११४, १४७
कीर्तिविमल - १०, ११६ कुबेर-७
कुमारधम्म - १०.
कुमुदविजय- ११५
कुलमण्ड-३२, ३४, ६४, १४५, १५६, १७२
पत्राणि
कुशलविजय [गणि] - १०५, ११०,
११६
कुशलसागर - ८७
कृपाविजय - १०१, १०६, केवलविजय - ११५
केशीकुमार - १७७, १७८, १८४ केसर विजय - १०६, १०७, ११८, कोडिन - ४, १४०,
कोडिल - १५,
कौडिल्य - २१,
क्षमाकल्याण - ११०,
क्षमारत्न- १०६, क्षमाविजय - १११, ११३ क्षमासूर - १७६
[ श्रार्य] खपु ( प ) टाचार्य १७, ४६,
१६५, १६८
खंदिलसूरि १३, १६, १७, १६६ खान्तिविजय ११६ खीमाविजय १४८
खुशालविजय १९६ गजविजय १९३
गणपतिऋषि ६७, १५७, १७२ गणिभद्द ४
गंभीरविजय ११५
गुणरत्न १०६
गुणरत्नसूरि २५, ३२, ३४, ६४, ६५, १४५, १५६
गुणविजय ७८, ८७, १०७, ११५, ११७
गुणसुन्दर १६, १७, २३, ४७
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