Book Title: Parmatma Prakash evam Bruhad Swayambhu Stotra
Author(s): Yogindudev, Samantbhadracharya, Vidyakumar Sethi, Yatindrakumar Jain
Publisher: Digambar Jain Samaj

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Page 520
________________ २१४ त्वयंभूत्तोत्र टीका फल भावों को पवित्रता व संसार का नाश हो स्वामी ने चाहा है । जिसमें या दिवसाया है कि हमें तोषकरों की भक्ति उनके गणों को पहचानकर मात्र अपने चार की मुद्धि में लिये तथा फर्म नाश के लिये करनी चाहिये, कोई इच्छा सांसारिक सम्पत्ति के महा रतन पाहिये । वास्तव में ऐसी हो स्तुतिये नमूनेदार स्तुतिये हैं दिनसे सत्य पदा पक्षात्मा का सत्या हित हो। यह स्तोत्र बारबार मनन करने योग्य है प्रदायक है। * टीकाकार को प्रशस्ति में

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