Book Title: Panini Sutra Vyakhya Purvarddha
Author(s): T Chandrashekharan
Publisher: T Chandrashekharan

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Page 14
________________ विहानुजमणिका प्रकरणम् पाश्री १.१६ १८५ २५३ ३ ११ ३१६ ३४३ ३८४ ४१३ स्त्रीप्रत्ययप्रकरणम कारकाकरणम् अव्ययीभावसमासप्रकरणम् तत्पुरुषसमाप्रप्रकरणम् कर्मधारयसमासप्रकरणम् बहुव्रीहिसमासप्रकरणम् द्वन्द्वसमासाकरणम् एकशेषप्रकरणम् सर्वसमासान्तप्रकरणम् अलुक्समासप्रकरणम् समासाश्रयविधिप्रकरणम् तद्धिताधिकारप्रकरणम् अपत्याधिकारप्रकरणम् चातुरर्थिकप्रकरणम् शैषिकप्रकरणम् प्राग्दीव्यतीयप्रकरणम् ठगधिकारप्रकरणम् प्राग्घितीयप्रकरणम् छयद्विधिप्रकरणम् आीयप्रकरणम् ठअधिकारप्रकरणम् नवजधिकारप्रकरणम् पाश्चमिकप्रकरणम् मत्वर्थीयप्रकरणम् प्राग्दिशीयप्रकरणम् प्रागिवीयप्रकरणम स्वार्थिकप्रकरणम् द्विरुक्तप्रकरणम् । विषयानुक्रमणिका समाप्ता !! ४८८ ५०३ ५१५ ५२१ ५२७ ५५२ ५७३ ६१५ ६२२ ६४८ ६६९

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