Book Title: Panchami Vrat Pujan Prayog
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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir SAMASTRA 22 * श्रीपञ्चमी ( वसन्तपञ्चमी ) व्रतपूजन प्रयोगः * तारकोग्रहमस्तकम् // गैद्रं गैदात्मकं घोरं केतुमावाहयाम्यहम् / / ॐ केतुंकृण्वइनकेतवेपेशोमर्याऽ अपेशसे // समुपद्भिरजायथाः // ॐ भू० अंतर्वेदिसमु दुभव जैमिनिसगोत्र कृष्णवर्ण भा केतो ! इ० केतवे नमः, केतुं० // 1 // * इति प्रतिष्ठाप्य यथाविधि सम्पूज्य प्रार्थयेत् / तत्र मन्त्रः-ब्रह्मा मुरारिस्त्रि पुरान्तकारी भानुः शशी भूमिसुतो बुधश्च // गुरुश्च शुक्रः शनिराहुकेतवः। सर्वे ग्रहाः शान्तिकरा भवन्तु / / इति // ॐ ततः यथाविधि कुशै रतिकामयोति कृत्वा कलशे संस्थाप्य 'एतन्ते मनोजूति०' इति प्रतिष्ठाप्य ग्रहान सम्पूज्य रतिकामौ पूजयेत् / तत्र ध्यानम् चारणे मदनं बाणपाशाङ्कुशशरासनान् // धारयन्तं For Private and Personal Use Only

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