Book Title: Pakshika Sutra Author(s): Bhadrabahuswami, Publisher: Jodhpur View full book textPage 5
________________ ज्याए मदने महागुये महापुलावे महापुरिसा चिन्ने परमरिसिदे सिययसले तंदुरकरक या ए कम्मर या मुरकथा बोहिलातार संसारुतारणाय शिकहूनब संयजत्ताणं विदरा | ॥॥ तचेलते महवय नवनिमिसचान दिन्नादाणानंवेरमणं ॥ ॥ श्रहाव रेवन से लते मद मेऊणानबेर मृणं सचेलते मेऊय बरकामि सदिक्षूंना भाषसेवा तिरिस्कजोगिटांना नवसयमे ऊसविता नवन्तदिमे सिवावा मऊ सेविते वि श्रन्तेन समयुजाएणामि जानीवाय तिविद तिविदेणं मोल बायाए कारणं नकरे मि नकार वेमि करते पिश्रन्नन समयु जाणामि तातेपमिकमामि निंदामि गरिदा मि पालवी सिरामि ॥ सेमेऊले वनविदेनादन रिकशन कालाव न दनणं मेऊण रुविसवा वसुदा खिलन मेणे नह लोएवा श्री लोएन । तिरियलोएवा कालकणमे दियावा राठवा सावन मेऊणे रागेलवा दो सेवा जंपियमय इमाम केवलन्तस्स श्रहिंसालरका साहिद्विटरस विए अमूलस्म खेतियहाणस्स श्रद्धिरन्न सोवन्तयरस नवसमपलवस्त्र नवनंतवेरगुतिस्स त्र्यमाणा लिरका वरिम ऊरकी संबल निरगसरणस्स संयरका लियस च तदोसस्स गुणगादियम्स निधियारा निचित्तीलरक एस्स पंचमहलय जुत्ता अ सन्तिहिसंवियरस श्रविसंवायरस संसारपारगामिनस्त निद्या एागमणपऊन सा hydraPage Navigation
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