Book Title: Nyayvinischay Vivaran Part 02
Author(s): Vadirajsuri, Mahendrakumar Jain
Publisher: Bharatiya Gyanpith

View full book text
Previous | Next

Page 519
________________ ४४० न्यायविनिश्चयविवरणे 4 भाग पृष्ठ पं. १ २२० १५ १ २५५७ भाग पृष्ठ २ १८१ २ २४७ २ ३६७ २ ३६९ २ १८१ विश्वरूप वृत्तिचूर्ण १ १६८ वेद २- १७७ १ ६४ १ २२९ व्यास व्योमवत् १८ सिंहमहीपति २०२ २,२० सिद्धसेन १ २२९ १० सिद्धिविनिश्चय सीमन्धर १६८ सुमतिदेव १७५ १४ सूत्र २५० १२ / सूत्र ( चार्वाक ) १ ३०२ २१ १ ४७६ ८ सूत्र [त.सू.] १ ४७७ ८ २ ३०० ६ १ २१४ ९; १ ३७४ २६ १ ४१९ ४ | सूत्र [ न्याय ] १ ४२१ १० सूत्र [यो.सू.] २ ३६९ १३ सूत्र [ वैशे० ] सूत्रकार १ ५२६ २२ सूत्रकारादि १ ५२९ २८ २ ३६७ १४ स्याद्वादमहार्णव २ २४९ १ १७६ २३ त्रिलक्षणकदर्थन १ ४५६ ८ हेतुबिन्दु २ ३३४ ३१ व्योमशिव व्याख्यानरत्नमाला [श] शान्तभद्र २ ३६३ १ ४२८ १९ शाबर श्रीपरवादिमल्ल २ २३४ २६ [स] २ ३६९ सन्मतिसागर समन्तभद्र हेमसेन २ २४८८ ६ देवागम धर्मोत्तर १८ निबन्धनकार (प्रज्ञाकर ) १ ३९५ ५ १५ निबन्धनकार (अकलंक) १ ४३४ २२,२३ २७ | न्यायविनिश्चयतात्पर्यावद्योतिनी २ ३६९ १९ २ ५७ १ ६५ १ ४३८

Loading...

Page Navigation
1 ... 517 518 519 520 521 522 523 524 525 526 527 528 529 530 531 532 533 534 535 536 537 538