Book Title: Nyayavinishchay Vivaranam Part 2
Author(s): Vadirajsuri, Mahendramuni
Publisher: Bharatiya Gyanpith

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Page 509
________________ न्यायचिनियविवरणगतान विशिक्षा शब्दाः ५० नैयायिकादिकल्पित नैरात्म्य २४ न्याय भाग पृष्ठ । भाग पृष्ट २ २०१ ११ प्रतिकर्मव्यवस्था २ २५६१४ प्रतिवादि २ २३७ २ ३४५ ३ | प्रतिबिम्बावलोकन प्रतिभासादेत प्रतिसंख्या १ ३५७ १. पतिसंख्यान १ ३८४ २१ प्रतीतिविदग्ध परिम्बङ्गसुखावर ४४१ प्रतीन्युपाध्याय সন্মঃ प्रदेशविमर्पण २ ११३ २ २३२२ प्रधान. २ २७१ [प] प्रमाणसंप्लव २ २०१७ २ १५३ प्रमयेव प्रवचन २२२ परधर्मबैकरूब पदादिस्फोटात्मा परम-मनल परमार्थकतानव परस्परसम्मूबईनात्मन् परसा परोक्षशानवादी २ ३२०१८ २ २६१ २६ प्रशान्तनिवाणोपपत्ति प्रसज्य मातिहार्यविभव पाध्यकारि चक्षुः १ २२७ १ ४२८ पर्याय ३२६ ३२७ ३२६ २३८ २ पर्युदास पाटलिपुत्रक २२ | प्राप्यकारिधोत्र | प्रामिनक २२ गतिमध्यस्थताशोक ८ | पाक्षित १५ २ २६२ २ ३२८ पारमर्ष २ ३१८ २१ | फल पारायंसाधन पाराथ्योन्यथानुपपत्ति विदितभक्षी पूर्ववत् पूर्ववदादि २ १८१ अहधानकयत् बारस्पत्य पूर्ववद्वीससंयोगिशन्द पौद्गलिक पौरुषेय २ ३४२ बुद्धसारथि र २७६ बौद्ध २१ २४ प्रकासननियम प्रगपति प्रशासषिकलता २ ३०० ३४ १ २७०७ १ ४३० २३

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