Book Title: Nyayakandali
Author(s): J S Jetly, Vasant G Parikh
Publisher: Oriental Research Institute Vadodra

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Page 726
________________ टिप्पणपञ्जिकाकुसुमोद्गमादिटीकात्रयोपेतम् 701 न्यायकन्दली त्र्यधिकदशोत्तरनवशतशाकाब्दे न्यायकन्दली रचिता श्रीपाण्डुदासयाचितभट्टश्रीश्रीधरेणेयम् // 9 // समाप्तेयं पदार्थप्रवेशन्यायकन्दलीटीका / समाप्तोऽयं ग्रन्थः // [पं०] सूत्राममितन्मतिम् श्रीमवर्षपुरीयगच्छमुकुट: श्रीसूरिसूत्रमिति / तच्छिष्यर्मुनिभिश्च वेत्ति नपरं वागीश्वरौ तन्मि(न्धि)तम् (?) // 17 // नरचन्द्रसूरिवंशे सूरि श्रीपद्मदेव इत्यासीत् / सूरिश्री श्रीतिलकस्तस्य मृगेन्द्रासने जयति // 18 // तच्चरणरेणुकणिकामुषितभालस्थलोऽत्र कन्दल्याम् / श्रीरा[जशेखरसू] रिः श्रीपञ्जिकामतनोत् // 19 // पूज्यश्रीतिलकाभिधानसुगुरोः सामर्थ्यतं [तस् ] तद्भूतम् मादृक्षोऽपि यदत्र सभ्यपुरतो धत्ते वचश्चापलम् / यड्डिम्भा अपि शुद्धसंस्कृतगिरः काश्मीरदेशोद्भवाः वाग्देव्याः स खलु प्रभावविभवस्तत्रस्थितायाश्चिरम् // 20 // भेतद् ध्रुवं यदत्र दोषकालष्यं जातं मे मतिमान्यतः / तत्क्षालयन्तु सन्तः स्वबुद्धिगंगाम्बधारया // 21 //

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