Book Title: Niryukti Sahitya Ek Punarchintan
Author(s): Sagarmal Jain
Publisher: Z_Vijyanandsuri_Swargarohan_Shatabdi_Granth_012023.pdf

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Page 35
________________ 72. ण वसो अवसो अवसस्स कम्म वावस्सयं ति बोधव्वा जुत्ति त्ति उवाअंति य णिरवयवो होदि णिजुत्ती॥ -नियमसार, गाथा 142, लखनऊ, 1931 73. देखें-कल्पसूत्र, स्थविरावली विभाग, 74. देखें-मूलाचार षडावश्यक-अधिकार 75. थेरस्स णं अज्ज विन्हुस्स माढरस्सगुत्तस्स अज्जकालए थेरे अंतेवासी गोयमसगुत्ते थेरस्सणं अज्जकालस्स गोयमसगुत्तस्स इमे दुवे थेरा अंतेवासी गोयमसगुत्ते अज्ज संपलिए थेरे अज्जभद्दे, एएसि दुन्हवि गोयमसगुत्ताणं अज्ज बुड्डे थेरे। - कल्पसूत्र (मुनिप्यारचन्दजी, रतलाम) स्थविरावली, पृ. 233 नियुक्ति साहित्य : एक पुनर्चिन्तन 123 Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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