Book Title: Neminath Charitra
Author(s): Jayanandvijay
Publisher: Ramchandra Prakashan Samiti

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Page 433
________________ 424 * बलराम की दीक्षा और नेमिप्रभु का मोक्ष पाण्डवों के भाग्य में नेमिभगवान का दर्शन बदा न था । क्योंकि जिस दिन उनका निर्वाण हुआ, उस दिन पाण्डव गिरनार से बारह योजन की दूरी पर थे। इसलिए उन्होंने स्थिर किया, कि कल नेमिप्रभु को वन्दनकर, मासक्षमण का पारणा करेंगे, किन्तु इतने ही में उन्होंने सुना कि नेमिप्रभु का तो निर्वाण हो गया। इस संवाद से पाण्डवों को अत्यन्त खेद हुआ और उन्होंने जी भरकर अपने भाग्य को कोसा। इसके बाद अत्यन्त वैराग्य के कारण वे विमलाचल पर चले गये। वहां एक मास का अनशन कर, केवलज्ञान प्राप्त कर वे मोक्ष के अधिकारी हुए, और द्रौपदी को ब्रह्मदेवलोक की प्राप्ति हुई । ॥ इति विस्तरेण ॥ ܀܀܀

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