Book Title: Natya Mudrao Ka Manovaigyanik Anushilan Author(s): Saumyagunashreeji Publisher: Prachya Vidyapith View full book textPage 8
________________ लोकार्पण जो परम पुरुषार्थी, स्वाध्याय व्यसनी एवं कर्मठता के प्रतिछप हैं। जो जीवन संग्राम के वीर योद्धा और कर्मयोग के प्रतीक पुरुष हैं। जो ज्ञान पिपासुओं के लिए सदज्ञान प्रपा और आगम वाणी के प्रमाण स्वरूप हैं। सेसे : ज्ञान दिवाकर, श्रुत रत्नाकर, इस शोधकृति के शिल्पकार बीसवीं सदी के प्रज्ञा पुरुष डॉ. सागरमल जैन के कर्तृत्व एवं व्यक्तित्व को सादर समर्पित... कारPage Navigation
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