Book Title: Namokar Mantra Kalpa
Author(s): Yugesh Jain
Publisher: Z_Deshbhushanji_Maharaj_Abhinandan_Granth_012045.pdf

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Page 5
________________ फल-वर्णन में कहा गया है कि णमोकार-मन्त्र के स्मरण मात्र से वरांग के हाथी का भय दूर हो गया तथा सेठ सुदर्शन का संकट दूर हो गया। मोक्षदायक यह मन्त्र सभी इच्छित पदार्थों को प्रदान करता है। साधन के अन्तर्गत इस मन्त्र की सिद्धि के लिए विहित विधि का विस्तृत वर्णन किया गया है / इस अनादि मन्त्र के ही कारण भव्य जीवों को मुक्ति प्राप्त होती है / इस मन्त्र का शुद्ध पाठ निम्नलिखित है ऊँ नमः अर्हद्भ्यः / ॐ नमः सिद्धेभ्यः / ॐ नमः आचार्येभ्यः। ऊँ नमः उपाध्यायेभ्यः / ऊँ नमः सर्वसाधुभ्यः। इसके अनन्तर हिन्दी में णमोकार-मन्त्र की स्तुति तथा नवकार-मन्त्र-स्तोत्र का पाठ दिया गया है। मन्त्र-साधन विधान णमो अरहताणं / णमो सिद्धाणं / णमो आयरियाणं / णमो उवज्झायाणं / णमो लोए सव्व साहूणं / उपर्युक्त णमोकार-मन्त्र के प्रथम पद में सात, द्वितीय पद में पांच, तृतीय पद में सात, चतुर्थ पद में सात तथा पंचम पद में नौ अक्षर हैं। इस प्रकार इसमें पैतीस अक्षर हैं / लौकिक कार्यों की सिद्धि के लिए विविध बीजाक्षरों को कहीं पहले, कहीं पीछे और कहीं बीच में जोड़ने से इसके छियालीस स्वरूप (मन्त्र) बनते हैं। इसके स्मरण-मात्र से सभी प्रकार के विघ्न नष्ट हो जाते हैं और साधक को मोक्ष प्राप्त होता है। __इसके पश्चात् हिन्दी-भाषा में मन्त्र-साधन की विधि का विस्तृत वर्णन किया गया है / धर्म, अर्थ, काम तथा मोक्ष-इन पुरुषार्थों की सिद्धि के अतिरिक्त, पुत्र-प्राप्ति, विघ्न-शान्ति, दुष्टों के स्तम्भन तथा कोलन, शत्रुओं का उच्चाटन, वशीकरण आदि लौकिक कार्यों की पूर्ति के लिए भी इस मन्त्र की सिद्धि का विधान किया गया है / मन्त्र की निविप्न तथा अमोघ सिद्धि के लिए रक्षा-मन्त्र का जाप आवश्यक है जिससे उपसर्ग तथा उपद्रव न हों। णमोकार-मन्त्र के जाप्य-विधान के उपरान्त उपवास की विधि का वर्णन किया गया है। मानसिक, वाचिक तथा कायिक इन तीन प्रकार के जापों में मानसिक जाप सर्वश्रेष्ठ है। यन्त्र-मन्त्र भाग में विभिन्न यन्त्रों तथा मन्त्रों की विधि एवं चित्रों सहित व्याख्या की गई है। अन्त में अनेक रक्षा-मन्त्रों, रोगनिवारण-मन्त्र, ताप-निवारण मन्त्र, शिरो-पीड़ा-निवारण-मन्त्र, बन्दी-गृह-निवारण-मन्त्र, अग्नि-निवारण-मन्त्र, चोर-शत्रु-निवारण-मन्त्र, भूत-प्रेत-निवारण-मन्त्र, द्रव्य-प्राप्ति मन्त्र आदि अनेक मन्त्रों का पाठ तथा विधि दी गई है। लौकिक तथा पारलौकिक सुखों की प्राप्ति तथा मोक्ष-लाभ के लिए णमोकार-मन्त्र के स्मरण, पाठ, साधन तथा वन्दन से अधिक उपयोगी कोई अन्य मन्त्र या उपाय नहीं है। णमोकार-मन्त्र की सिद्धि के लिए प्रस्तुत पुस्तक ‘णमोकार-मन्त्र-कल्प' अवश्यमेव पठनीय तथा संरहणीय है। सुजन-संकल्प Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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