Book Title: Namaskar Swadhyay Sanskrit Vibhag
Author(s): Dhurandharvijay, Jambuvijay, Tattvanandvijay
Publisher: Jain Sahitya Vikas Mandal

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Page 12
________________ निवेदन नमस्कार-स्वाध्यायना प्राकृत विभाग (प्रथम भाग) नो दलदार ग्रंथ आजथी एक वर्ष पहेला बहार पाडवामां आव्यो हतो। एने समाजे अत्यन्त आदरथी वधावी लीधो हतो। सारा सारा विद्वानोए ए ग्रंथनी मुक्तकंठे प्रशंसा करी हती। तेनी बधी नकलो तरत ज उपडी गई हती अने हजु तेनी मांग चालु छ / विदेशमांथी पण मागणीओ आवी रही छे। हवे एज ग्रंथना बीजा (संस्कृत) विभागने प्रगट करतां अमने अत्यन्त आनंद थाय छे / आ बीजा विभागमां नवकार संबंधी कुल 43 महत्त्वपूर्ण संदर्भो लेवामां आव्या छे। प्रथम भागनी माफक ज आ संस्कृत विभागमां पण नवकार संबंधी जुदी जुदी दृष्टिए विशेषता धरावता प्रकाशित तेमज अप्रकाशित स्तोत्रो चूंटवामां आव्या छ। ॐकारविद्यास्तवन, ह्रींकारविद्यास्तवन, मायाबीजस्तुति, मायाबीजह्रींकारकल्प, ऋषिमण्डलस्तवयन्त्रालेखन, आ स्तोत्रो ॐकार अने ह्रीकार- स्वतंत्र महत्त्व बतावनारा स्तोत्रो छे। ऋषिमण्डलस्तवयन्त्रालेखनने अमे जुदा पुस्तकरूपे पण बहार पाड्युं छे। कलिकालसर्वज्ञ श्रीहेमचन्द्राचार्य विरचित श्रीसिद्धहेमशब्दानुशासनना शब्दमहार्णवन्यासमांथी अमे अर्हना विस्तृत न्यासने अहीं रजु करेल छ / एनो अनुवाद अहीं प्रथम ज वार प्रकाशित थाय छ। एमां अर्हनो स्वरूप, अभिधेय, तात्पर्य, क्षेम, योग, प्रणिधान अने तात्त्विक नमस्कार, ए सात द्वारो वडे सुंदर विचार करवामां आन्यो छे। ते पछीना संदर्भमां कलिकालसर्वज्ञकृत संस्कृत व्याश्रय महाकाव्यना प्रथम श्लोकनी टीकामां श्रीअभयतिलकगणि- अर्ह उपर- विवेचन छ। ते पछीना संदर्भमां कलिकालसर्वज्ञ श्रीहेमचन्द्राचार्य कृत श्रीवीतरागस्तोत्रना प्रथम छ श्लोको उपर श्रीप्रभानंदसूरिए करेल सुंदर विवरण छ / तेमां प्रत्येक पद उपर सुंदर प्रकाश नाखवामां आव्यो छ / ते पछी तत्त्वार्थसारदीपक ग्रंथनो संदर्भ आवे छे / तेमां पदस्थ ध्याननी सुंदर भावना छ / तेमां नवकारमाथी उत्पन्न थयेला अनेक मंत्रो, ते मंत्रोनी आराधनाना प्रकाये तथा फलश्रुति छ / ते पछी श्रीसिंहतिलकसूरिए रचेल मन्त्रराजरहस्य नामना हस्तलिखित ग्रंथमाथी पंचपरमेष्ठिस्वरूप संदर्भ लेवामां आव्यो छे। मन्त्रराजरहस्यना विषयमा भविष्यमां वधु साहित्य प्रकाशित करवानी अमारी उत्कट भावना छ / मंत्रजगतमां आ ग्रंथनुं स्थान अनेरुं छे / ए ग्रंथने वांचतां श्रीसिंह तिलकसूरिनी अगाध विद्वत्ता स्पष्ट देखाई आवे छ / प्रस्तुत संदर्भमां ॐ, ही, अर्ह वगेरे मंत्रबीजोना अ अ आ उ म् वगेरे अंगोना रहस्यनुं सुंदर वर्णन छ / ते पछी मन्त्रराजरहस्यमांथी 'परमेष्ठिविद्यायन्त्रकल्प' लेवामां आव्यो छे / एमां पण परमेष्ठिओना ध्यानादिना जुदा जुदा प्रकारो वर्णववामां आन्या छे / एमां सरस्वतीना मन्त्रध्यान- वर्णन सौथी वधु महत्त्व- छे / सरस्वतीना मन्त्रनु ध्यान मूलाधारादि चक्रोमां केवी रीते करवं, तेनी विशिष्ट प्रक्रिया, कुण्डलिनी शक्ति, वगेरेनुं अहीं रहस्यमय वर्णन छ। ए वर्णन परथी ए स्पष्ट देखाय छे के श्रीसिंहतिलकसूरिनो ध्यानविषयक अनुभवं बहु ज . उच्च भूमिकानो हतो। प्रस्तुत संदर्भ पछीना लघुनमस्कारचक्रस्तोत्रसंदर्भमां शान्त्यादिकोने साधवानी प्रक्रिया छ / त्यारपछी श्रीसिद्धसेनसूरिप्रणीत श्रीनमस्कार माहात्म्य अनुवाद सहित आपवामां आव्युं छे; एमां नवकार अने तेना प्रत्येक वर्णनुं सुंदर विवेचन छे तथा नवकारना स्मरणथी थता लाभो, नवकारनो प्रभाव वगेरे दर्शाववामां आव्या छ / एमां सप्तम प्रकाशथी जे चतुःशरण- वर्णन शरू थाय छे, ते तो अजोड छ / ते पछीना संदर्भोमां पण नवकारविषयक विविध सामग्री छे। ते पछी परमात्मपंचविंशति संदर्भ छ / एमां उपा० श्रीयशोविजयजीए परमात्माना शुद्ध स्वरूपy संक्षेपमा सुंदर वर्णन करेल छ /

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