Book Title: Nagri Pracharini Patrika Part 16
Author(s): Shyamsundardas
Publisher: Nagri Pracharini Sabha

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Page 128
________________ ५१० नागरीप्रचारिणी पत्रिका समन्वय की भव्य भावना ने इमाम गजाली (मृ. ११६८) को जन्म दिया। इसलाम उसकी प्रतिभा से चमक उठा। गजाली इसलाम का व्यास है। उसने धर्म, दर्शन, समाज और भक्ति-भावना का समन्वय कर इसलाम को परितः परिपुष्ट किया । उसने इसलाम को ईमान की क्रिया सावित कर दोनों का उपसंहार दीन में कर दिया। उलझनों के सुलझाने और पड़चनों को दूर करने में अधिकार-भेद बड़ा काम करता है। गजाली ने 'न बुद्धि भेदं जनयेत्' का आदेश दे गुह्य विद्या को गुप्त रखने का विधान • किया। परंतु उसने इस प्रकार की व्यवस्थारे के साथ ही साथ इस बात पर भी पूरा ध्यान दिया कि जनता प्रतिभा के उत्कर्ष के साथ दर्शन एवं अध्यात्म का अनुशीलन कर सके। उसने भय की प्रतिष्ठा की। उसके विचार में इसलाम का प्राचीन भय जनता के लिये मंगलप्रद और अत्यंत आवश्यक था। वह 'बिनु भय होइ न प्रीति को अक्षरश: सत्य समझता था। भय को मनोरम बनाने के लिये उसने प्रेम का पक्ष लिया। कुरान के अर्थ अथवा ईमान के विषय में जो विवाद चल पड़े थे उनका समाधान लोकों की कल्पना कर गजाली ने बड़ी ही पटुता के साथ कर दिया। उसका कथन है कि मनुष्य 'मुल्क' का निवासी है। रूह 'मलकूत' से आती और फिर वहीं चली जाती है। संदेश-वाहक फरिश्ते 'जबरूत' के निवासी हैं। अन्य फरिश्ते मलकूत में रहते हैं। इसलाम मलकूत तथा कुरान जबरूत से संबद्ध है। सूफी जो अपने को हक कहते हैं उसका रहस्य यह है कि अल्लाह ने आदम को (1) Muslim Theology p. 237-240. (२) The History of Philosophy in Islam p. 167-8. (३) Muslim Theology p. 234. Shree Sudharmaswami Gyanbhandar-Umara, Surat www.umaragyanbhandar.com

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