Book Title: Muni Premvijayji ni Tip Author(s): Bhuvanchandravijay Publisher: ZZ_Anusandhan View full book textPage 4
________________ [74] गुणवी ए बोल इगुणत्रीसमो । २९ उधाड मुढइ बोलाइ तु नोकार वीस गुणवा, अनइ आहार करतां कउगला कीधा पाखइ बोलाइ तु नउकरवाली एक गुणवी - ए बोल तीसमो । ३० काजउ अणपूंज्यइ बइसाइ तु, उधर्या पाखइ बइसाइ तो नोकरवाली एक गुणवी - ए बोल इकत्रीसमउ । ३१ वडिलेहण करतां, अनइ पडिकमणुं करतां बोलवा पचखाण; गुरु बोलावई तिवारइं बोलउं, बीजी परई बोलाइ तु नउकरवाली एक ऊभां गुणवी - ए बोल बत्रीसमउ । ३२ संथारीउ अनइ उतरपटणउं उपरांत अधिकउं उपगरण पाथरवा पचखाण; अनइ उसीसइ पण किसी वस्त मूंकवा पचखाण । उसीसइ बाहई अनइ शरीरनइ कारण तीन पड़ ऊढवां ए बोल तेत्रीसमो । ३३ माहरी मात्रानुं उपगरण अणपडिलेह्युं रहइ तो नउकरवाली एक गुणवी ए बोल चीसो । ३४ जावजीव पाडिहारू वस्त्र अथवा कांबलो - कांबली वावरवा पचखाण: अनइ कारण पणि वावरवा पचखाण-ए छत्रीसमो बोल । ३६ माहरइ डीलिई तेल आदि देइनइ विलेपणनी जात चोपडवा पचखाण; इम करतां कोई बलात्कारई चोपडइ तु बीजइ दिवस नोकरवालीनुं दंड १ - ए बोल सांत्रीसमउ । ३७ रातई अखोडा- पखोडा न पडिलेहाइ तो नोकरवाली एक ए बोल अत्रीसमो । ३८ सीकीनी पडिलेहण पचवीस, उवधिनी पडिलेहण पचवीस, थापनानी पडिलेहण तेर, डांडो, डंडासणों, काणदोरु, उधारो - ए समस्तनी पडिलेहण दस, एणइ प्रकार जेहनी जेतली पडिलेहण छई तेहनी तेतली पडिलेहण करिवी । अधिकी-ऊछी थाइ तो नउकार पांच, पडिलेहण डीठ गुणवा । पणि इणी विधि पडिलेहण पोताना उपगरणनी पडिलेहण करिवी । कारण विना ए बोल इगुणच्यालीसमो । ३९ सीकी, उपधि, डांडो अणपूंज्यो लेवाइ तु, अनइ अणपूंज्या मूंकाइ तु एक नोकरवाली गुणवी - ए बोल च्यालीसमउ । ४० सांजइ सरीर अकालसन्या थाइ तु आंबिलतप करी पुहचाडवो, अनइ सझ्यातर घर कीधइ जो होड्या पण न पलइ तो भंगई आंबिलतप करी पुहचाडिवउं Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.orgPage Navigation
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