Book Title: Mumukshu Nitya Karma
Author(s): 
Publisher: ZZZ Unknown

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Page 17
________________ री शुभ कल्पना द्रढ करवानो अभ्यास कर. निरंतर एवा विचार करवानो अभ्यास करजे, सघळां असत्य अने क्षणभंगुर सुख अने दुःखना पदार्थोमांथी धीमे धीमे तृष्णा काढी नाखवाने, तारेज सत्य पुरुषार्थ करवानो छे; एमा बीजो कोई सहाय करी शकवानो नथी. प्रकृतिने अनुकुळ आवे तो संध्याकाळे व्यवहारिक कार्य करी, घेर आव्या पछी स्नान करवं. निद्रा वश थवानी पूर्वे ऊपर कह्या प्रमाणे शुभ इच्छा अथवा प्रार्थना करवी; अने

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