Book Title: Mahavir aur Vishwashanti
Author(s): Ganeshmuni
Publisher: Z_Pushkarmuni_Abhinandan_Granth_012012.pdf

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Page 5
________________ भगवान महावीर और विश्व-शान्ति 23 00 दृष्टि दी वहाँ व्यक्ति को अपना आचार व व्यवहार सुधारने के लिए नया आयाम दिया / परिवर्तित मूल्यों के वर्तमान युग में भी महावीर के संदेश उतने ही नवीन एवं प्रभावशाली हैं जितने शताब्दियों पूर्व / आवश्यकता है कि हम इन सिद्धान्तों पर जीवन-धारा मोड़ दें और विश्वशान्ति के प्रवेश द्वार पर पहुँचें। सन्दर्भ एवं सन्दर्भ-स्थल 1 सव्वे पाणा पियाउया सुहसाया, दुह पडिकूला, अप्पियवहा / -आचा० 112 / 3. 2 अहिंसा मूलो धम्मो। 3 एवं खु णाणिणो सारं, जं न हिंसइ किंचणं / अहिंसा संमयं चेव, एतावंत वियाणिया // -सूत्रकृतांग श्रु. 1, अ० 1, गा०६ 4 प्रमत्तयोगात्प्राणव्यपरोपणं हिंसा / -तत्वार्थसूत्र 7/8 5 उत्तराध्ययन सूत्र, अध्य० 36. 6 जयं चरे जयं चिट्ठ, जयमासे जयं सए। जयं भुंजतो भासंतो, पाव-कम्मं न बन्धई // -दशव० 48 7 धम्मो मंगलमुक्किट्ठ, अहिंसा संजमो तवो / देवावि तं नमसंति, जस्स धम्मे सया मणो / -दशव० 1/1 8 इच्छाहु आगाससमा अणंतिया। -उत्त० अ०६/४८ 6 मुच्छा परिग्गहो वुत्तो। -दसवै०६/२९ 10 परिग्गह निविट्ठाणं, वेरं तेसिं पवड्ढई। -सूत्रकृतांग 1/6/3 HSA Jain Education International www.jainelibrary.org

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