Book Title: Mahavir Janma Sthal
Author(s): Sagarmal Jain
Publisher: Z_Sagar_Jain_Vidya_Bharti_Part_6_001689.pdf

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Page 6
________________ इसका एक प्रमाण यह भी है कि वैशाली से प्राप्त एक मुद्रा पर 'वैशालीनामकण्डे' ऐसा स्पष्ट लिखा हआ है। इससे भी यह सिद्ध होता है कि वैशाली के निकट कोई कुण्डग्राम रहा होगा और यही कुण्डग्राम क्षत्रियकुण्ड और ब्राह्मणकुण्ड - ऐसे दो विभागों में विभाजित रहा होगा। अत: भगवान महावीर के जन्म स्थान को वैशाली के निकटवर्ती वासोकुण्ड को ही क्षत्रियकुण्ड मानना चाहिये। इस सम्बन्ध में एक परम्परागत अनुश्रुति यह भी है कि वासोकुण्ड के उस स्थल जिसे महावीर का जन्म स्थान माना गया है आज तक हल नहीं चलाया गया है और वहां के निवासी शासकीय एवं विद्वानों के निर्णय के पूर्व भी उस स्थान को महावीर की जन्मभूमि के रूप में उल्लेखित करते रहे हैं। जहां तक नालंदा के समीपवर्ती कुण्डलपुर का प्रश्न है उसे तो महावीर का जन्मस्थल नहीं माना जा सकता, क्योंकि महावीर जब-जब भी राजगृही आते थे तब-तब वर्षावास के लिये नालंदा को ही प्रमुखता देते थे। अत: यह तो स्वभाविक है कि नालंदा के साथ महावीर की स्मृतियां जुड़ी रही हों किन्तु उसे उनकी जन्मभूमि स्वीकार नहीं किया जा सकता। क्योंकि न तो वहाँ ज्ञातृवंशीय क्षत्रियों का आवास ही था और न मगध जैसे साम्राज्य की राजधानी के एक उपनगर में किसी अन्य राजा का राज्य होने की सम्भावना थी। जमुई के निकटवर्ती लछवाड़ को लछवाड़ नाम कब मिला यह गवेषणा का विषय है। जमुई की प्राचीनता तो निर्विवाद है और उसका सम्बन्ध भी महावीर के केवल ज्ञान स्थल का निकटवर्ती होने से महावीर के साथ जुड़ा हुआ है। किन्तु उसे महावीर का जन्मस्थान न मानकर आगमिक प्रमाणों के आधार पर केवलज्ञान स्थल ही माना जा सकता है। इस सम्बन्ध में विस्तृत चर्चा महावीर की कैवल्यभूमि के प्रसंग में करेंगे। श्वेताम्बर और दिगम्बर दोनों ही परम्पराओं के ग्रन्थों में क्षत्रियकुण्ड या कुण्डपुर की अवस्थिति विदेह क्षेत्र में बताई गई है। इस तथ्य की पुष्टि दिगम्बर परम्परा के कुछ ग्रन्थों के सन्दर्भ श्री राजमलजी जैन ने प्रस्तुत किये हैं। पूज्यपाद देवनन्दी की निर्वाणभक्ति में यह उल्लेख किया है कि सिद्धार्थराजा के पुत्र ने भारत देश के विदेह कुण्डपुर में देवी प्रियकारिणी को सुखद स्वप्न दिखाए और चैत्र शुक्ला त्रयोदशी को उसने उन्हें जन्म दिया। इसी प्रकार आचार्य जिनसेन ने (नवीं शती) हरिवंश पुराण में भारत देश के विदेह क्षेत्र के कुण्डपुर में महावीर के जन्म का उल्लेख किया है। इसी क्रम में उत्तरपुराण के रचयिता गणभद्र ने (विक्रम की दसवीं शताब्दी) महावीर के जन्म स्थान कुण्डपुर को भारत के विदेह क्षेत्र में अवस्थित बताया हैं। इसी पुराण के ७५वें सर्ग में भी 'विदेहविषयेकण्डसंज्ञायां' पुरी के रूप में उल्लेखित किया गया है। आचार्य पुष्पदंत ने वीरजिनंदचरिउ Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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