Book Title: Maharaja Kharvelsiri ke Shilalekh ki 14 vi Pankti
Author(s): Punyavijay
Publisher: Punyavijayji

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Page 4
________________ [10 મહારાજા ખારવેલસિરિક શિલાલેખકી 14 વી પંક્તિ यहाँ पर प्रश्न हो सकता है कि-खारवेल-शिला-लेखकी १५वीं पंक्तिमें "अरहतनिसीदीयासमीपे "का " अर्हतकी निषीदी (स्तूप)के पास" ऐसा अर्थ किया गया है—अर्थात् 'निसीदिया' शब्दका अर्थ 'स्तूप' किया है और 14 वीं पंक्तिमें इसी शब्दका भिन्न अर्थ क्यों किया जाता है ? इसका समाधान यह है कि-श्वेताम्बर जैनसम्प्रदायके ग्रन्थोंमें 'निसीहिया' या 'निसेहिया' शब्द बहुत जगहों पर भिन्न भिन्न अर्थमें प्रयोजित किया गया है णिसीहिया स्त्री० [निशीथिका ] 1 स्वाध्याय-भूमि, अध्ययनस्थान, (आचारांग 2-2-2) / 2 थोड़े समयके लिये उपात्तस्थान, (भगवती 14-10) / आचारांगसूत्रका एक अध्ययन (आचा० 2-2-2) / णीसीहिया स्त्री० [नषेधिकी] 1 स्वाध्यायभूमि, (समवायांग पत्र 40) / 2 पापक्रियाका त्याग, (प्रतिक्रमणसूत्र)। 3 व्यापारांतरके निषेधरूप सामाचारी आचार, (ठाणांगसूत्र 10 पत्र 499) / 4 मुक्ति-मोक्ष / 5 श्मशानभूमि, तीर्थंकर या मुनिके निर्वाणका स्थान, स्तूप, समाधि, (वसुदेवहिण्डि पत्र 264-309) / 6 बैठनेका स्थान / 7 नितम्बद्वारके समीपका भाग (राज प्रश्नीय सूत्र ) / 8 शरीर, 9 वसति-साधुओंके रहनेका स्थान, 10 स्थण्डिल-निर्जीब भूमि, (आवश्यक चूर्णी) / * -पाइअसहमहण्णवो पत्र 512-13 // अंतमें इस लेखको समाप्त करते हुए मुझे कहना चाहिए कि-प्रस्तुत लेखका कलेवर केवल शास्त्रीय पाठोंसे ही बढ गया है, किन्तु शिलालेखके अंशकी तुलना और इसके अर्थको स्पष्ट करनेके लिये यह अनिवार्य है। [अनेकांत,' माघ वि. सं. 1986 ] * इन अर्थों में कुछ नये अर्थ भी शामिल किये गये हैं। Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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