Book Title: Lati Samhita
Author(s): Manikchandra Digambar Jain Granthmala Samiti
Publisher: Manikchandra Digambar Jain Granthmala Samiti
View full book text ________________ arar-arrererer-areerera Cer-crorerar-erer Crepararerar-er-crerer-es-erer-rep पूर्व प्रकाशित ग्रन्थों की सूची - :0833[ प्रत्येक ग्रन्थ लागत मात्र मूल्य पर बेचा जाता है / ] 1 लघीयस्त्रयादिसंग्रह (न्याय)।-) 15 युक्त्यनुशासन (न्याय) 10) 2 सागारधर्मामृत 1) 16 नयचक्रसंग्रह 3 विक्रान्त कौरवीय (नाटक)।) 17 षट्प्राभृतादिसंग्रह 4 पार्श्वनाथचरित ( काव्य ) // ) 18 प्रायश्चित्तसंग्रह 14 5 मैथिली-कल्याण (नाटक).।) 19 मूलाचार सटीक (पूर्वाध )2 // ) 6 आराधनासार - // 20 भावसंग्रहादि 21) 7 जिनदत्तचरित ( काव्य ) // 21 सिद्धान्तसारादिसंग्रह 8 प्रद्युम्नचरित // ) 22 नीतिवाक्यामृत 9 चारित्रसार 2) 23 मूलाचार सटीक (उत्तरार्ध) 1) / 10 प्रमाणनिर्णय ( न्याय ) / ) 24 रनकरण्ड सटीक 1 // ) 11 आचारसार / ) 25 पंचसंग्रह 12 त्रिलोकसार सटीक 11 // ) 26 लाटीसंहिता 13 तत्त्वानुशासनादिसंग्रह ) 27 पुरुदेवचम्पू 14 अनगारधर्मामत 3 // ) 28 प्राचीन शेलालेखसंग्रह 1 ) नोट-आगे और बड़े बड़े महत्त्वपूर्ण ग्रन्थोंके छपानेका प्रबन्ध हो / रहा है। प्रत्येक जैनीको इसके ग्रन्थ मँगाकर सहारा ता करनी चाहिए। 100) सौ रुपया देकर सहायता देनेवालोंको सब ग्रन्थ गेट भेजे जाते हैं। Pererearerra- निवेदकनाथूराम प्रेमी, मंत्री, हीराबाग, पो० गिरगाँव, बबई / / 2-22-2-2-areereaders Berroresear -12-12-20- 2
Loading... Page Navigation 1 ... 160 161 162