Book Title: Kshetra Sparshana Prakaranam
Author(s): Jagatchandravijay
Publisher: ZZZ Unknown

View full book text
Previous | Next

Page 12
________________ द्रव्यप्रमाणप्रकरणम् (मूलगाथाः) नमिउं अरिहंताई सगुरुपसाया सुयाणुसारेणं । गइआइहाणेसुं भणिमो जीवाण परिमाणं ॥१॥ णिरये य पढमणिरये, भवणवइसुरम्मि आइमदुकप्पे । अंगुलअसंखभाग_प्पएसमित्ताउ सेढीओ ॥२॥ सेसणिरय-तइआइछ___ कप्प-नरेसुं अपज्जमणुसे य । सेढिअसंखंसो सुर वंतर-जोइससुरेसुं य ॥३॥ सव्वेसु पणिदितिरिय विगल-पणिदि-तसकाय-मण-वयणेसुं । बायरसमत्त-भू-दग पत्तेअवणेसु विक्कियदुजोगेसुं ॥४॥ थी-पुरिस-विभंग-णयण सुहलेसतिगेसु तह य सण्णिम्मि । पयरअसंखंसट्ठिअ सेढिगयपएसतुल्लाऽस्थि ॥५॥ संखेज्जा मणुसी-नर पज्जा-ऽवेअ-मणणाण-सव्वत्थे । संयम-छेअ-समाइअ सुहुमा-ऽऽहारदुग-परिहारे ॥६॥ सेसाऽऽणताइसुर-मइ सुय-ऽवहिदुग-देसविरय-सम्मेसुं उ । पल्लाऽसंखंसो उव सम-वेअग-खइअ-मीस-सासाणेसुं ॥७॥ बायरसमत्तवज्जिअ भू-दग-ऽगणि-वाउकायभेएसं । पत्तेअवणम्मि य तद पज्जे लोगा असंखिज्जा ॥८॥ बायरपज्जाग्गिम्मि उ देसूणघणावलीअ समयमिआ । बायरपज्जाणीले संखंसो हुन्ति लोगस्स ॥९॥ सेसाहतीसठाणे ऽणंता जीवा हवन्ति इइ रइयं । अप्पावहारणट्ठा रज्जे सिरिपेमसूरीणं ॥१०॥ ताण पसीसाण पउम विजयगर्णिदाण सीसलेसेण । दव्वपमाणपगरणं नन्दउ जा वीरजिणतित्थं ॥११॥ २२

Loading...

Page Navigation
1 ... 10 11 12 13 14 15 16 17 18 19 20 21 22 23 24 25 26 27 28 29 30 31 32 33 34 35 36 37 38 39 40 41 42 43 44 45 46 47 48 49 50 51