Book Title: Ketlak Madhyakalin Gujarati Shabd Prayogo
Author(s): Jayant Kothari
Publisher: ZZ_Anusandhan

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Page 2
________________ आ अउगनाइ ते अवगण ? उक्तिरत्नाकर मां संस्कृत पर्यायां घडी काढला मळे छे अने संस्कृत कोशी (अपकर्णयति शब्द नांधता नथी. पण उक्तित्नाकर ने 'अवगणे' ज अभिप्रेत होय तो संस्कृत 'अवगणयति एन आपी शके एम मानवुं मुश्केल छे. वीजी बाजुथी, अवगणे नुं जूनं रूप अउगणई होय अने ए ज अवगणयति परथी आवे, 'अउगनाई नहीं. एटले 'अउगनाई ए अउगणई थी जुदो शब्द होवानो संभव रहे छे. एनो ' अपकर्णयति ए पर्याय आपवामां आव्यो छे तो तेनो अर्थ सांभळे नहीं, ध्यानमा न लें एवो अभिप्रेत होत्रानं संभावित छे.' ४. अउगड, उगउ 'उक्तिरत्नाकर मां 'अउगउ - मुगउ' अने 'उगउमगउ ए शब्दो नोधायला हे अन एनी पर्याय 'अवाङ्मुकः आपत्रामां आव्यो छे. देखीती रीते ज ऊगोमूगों ए द्विरुक्त शब्द छे. एनो अर्थ तो मूंगो' ज. 'ऊगो ने 'अवाङ् परथी व्युत्पन्न करी शकाय ? अजगर के उगउ शब्द एकली पण मूंगो ना अर्थमां वपरायो छे. जेमके, अउगी अच्छि सखि झखि मन आल, (विनयचंद्रसूरिकृत नेमिनाथ चतुष्पदिका, ई. १३ मी सदी उत्तरार्ध गुरे भणिउं मवच्छ ! उग रहि को कोई नहीं कहई (तुरणप्रभसूरिकृत 'षडावश्यक - बालावबोध, र. ई. १३५५ ) N -- वीजा उदाहरण परत्वे संपादक प्रबोध पंडिते Agitated, alarmed ' एवो अर्थ आप्यो छे. पण त्यां वीजा साधुए दडवडावतां चेलो लागणीना आवेशमां आवी धुसकां भरे छे त्यारे गुरु एने वत्स, रड नहीं. मूगा रहे एम कहे छे तेत्रो अर्थ लेवानो छे.' ५. अखाडो 'अखाड़ों शब्द कुस्ती, व्यायाम स्पर्धा माटेनी जग्याना अर्थमां जाणीतो छे. सं. 'अक्षपटक परथी ए ऊतरी आव्यो छे. उत्तिरत्नाकर', 'अक्षपादक एवो पर्याय आपी 'अखाड शब्द नोंधे छे. मध्यकालीन गुजरातीना बेत्रण प्रयोगो आ संदर्भमा नोधपात्र छे. पार्थ एक दल कोडि विहाड, इणि स्यरं कोई मिलइ न अखाडड़ २.५३ (शालिसूरिकृत विराटपर्व, ई. १४२२ पहेलां ) Jain Education International संपादको चिमनलाल त्रिवेदी अने कनुभाई शेठ अखाडई' नो अर्थ 'मल्लयुद्धमा अने गुर्जर सावली ना संपादको (ठाकोर, देसाई, मोदी) 'a wrestling ground' ओम अर्थ आपे छे. आमां कुस्ती के कुस्ती मैदान एवो अर्थ अभिप्रेत होय तो ते योग्य नथी. सर्व प्रकारनी शौर्यस्पर्धामां पार्थनी तोले कोई न आवे एम ज अर्थ होई शके. पार्थ कुस्तीबाज नथी, बाणावळी छे. [१०] For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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