Book Title: Karm Swarup aur Bandh Author(s): Rajkumar Jain Publisher: Z_Hajarimalmuni_Smruti_Granth_012040.pdf View full book textPage 3
________________ -0-0-0-0-0-0-0-0-0-0 404 : मुनि श्रीहजारीमल स्मृति-ग्रन्थ : द्वितीय अध्याय बन्ध जाता है और आगे जाकर अच्छा या बुरा फल देता है. इसी बात का स्पष्टीकरण निम्न रूप से किया गया है परिणमदि जदा अप्पा सुहम्मि असुहम्मि रागदोसजुदो , तं पविसदि कम्मरयं णाणावरणादिभावेहिं / —प्रवचनसार अर्थात् जब राग, द्वेष से युक्त आत्मा अच्छे या बुरे कामों में परिणत होता है तब कर्म रूपी रज ज्ञानावरणादि रूप से उसमें प्रवेश करती है. इससे यह स्पष्ट है कि कर्म एक मूर्तिक पदार्थ है जो जीव के साथ बंध जाता है. यहाँ एक ऐसी आशंका उठ खड़ी होती है कि कर्म मूर्तिक है एवं आत्मा अमूर्तिक. अतः दोनों का बन्ध सम्भव नहीं. मूर्तिक के साथ मूर्तिक का बंध तो हो सकता है किन्तु अमूर्तिक के साथ मूर्तिक का बन्ध कैसे हो सकता है ? इसका समाधान यही है कि अन्य दर्शनों की भांति जैनदर्शन भी जीव और कर्म के सम्बन्ध को अनादि मानता है. संसारी जीव अनादि काल से मूर्तिक कर्मों से बँधा हुआ है और इसीलिए वह भी मूर्तिक हो रहा है, जैसा कि 'द्रव्य संग्रह' में स्पष्टतः कहा है वण्ण रस पंच गंधा दो फासा अटुणिच्चिया जीवे , णो संति अमुत्ति तदो ववहारा मुत्ति बंधादो। अर्थात् वास्तव में जीव में पांचों रूप, पाँचों रस, दोनों गन्ध और आठों स्पर्श नहीं रहते, इसलिए वह अमूर्तिक है. जैनदर्शन में रूप, रस, गन्ध और स्पर्श गुण वाली वस्तु को मूर्तिक कहा है. किन्तु अनादि कर्म बन्ध के कारण व्यवहार में जीव मूर्तिक है. अतः कथंचित् मूर्तिक आत्मा के साथ मूर्तिक कर्म द्रव्य का सम्बन्ध होता है. सारांश यह है कि कर्म के दो भेद हैं-द्रव्यकर्म और भावकर्म. जीव से सम्बन्ध कर्म पुद्गल को द्रव्य कर्म कहते हैं और द्रव्य कर्म के प्रभाव से होने वाले जीव के राग-द्वेष रूप भावों को भावकर्म कहते हैं. द्रव्यकर्म भावकर्म का कारण है और भावकर्म द्रव्यकर्म का कारण है. द्रव्यकर्म के विना भावकर्म और भावकर्म के विना द्रव्यकर्म नहीं होते हैं. इन कर्मों का बन्ध ही जीव के जन्म मरण एवं विविध गतियों में परिभ्रमण का कारण है. इस प्रकार आत्मा और कर्म का सम्बन्ध अनादि काल से चक्रवत् चला आ रहा है. TIVITUTinni Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.orgPage Navigation
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