Book Title: Karm Siddhant evam Aatmik Vikas ke Vibhinna Aayam
Author(s): Ajit Prakash Jain
Publisher: Ajit Prakash Jain

View full book text
Previous | Next

Page 23
________________ जीव का उर्ध्वगमनत्व एवं न्युटन का प्रथम नियम A body at rest will remain at rest and a body moving with uniform velocity in a straight line will continue to do so unless an external force is applied to it. Practically motion of matter are stopped/hindered by frictional, gravitational, physical & various biological forces. - इसी प्रकार जीव की स्वाभाविक उर्ध्व गति होते हुए भी विरोधात्मक कर्म शक्ति से प्रेरित होकर कर्म संयुक्त संसारी जीव चर्तुगति रूप संसार में परिभ्रमण कर रहा है, परन्तु जब यह कर्मबन्धनों से मुक्त हो जाता है, तब अन्य गतियों में से निवत होकर स्वाभाविक उर्ध्व गति से गमन करता हैं । - प्रकृति, स्थिति, अनुभाग एवं प्रदेशबंध से संम्पूर्ण रूप से मुक्त होने के बाद परिशुद्ध स्वतन्त्र शुद्धात्मा तिर्यक आदि गतियों को छोडकर उर्ध्व गमन करता हैं । - सर्वज्ञ सर्वदर्शी जिनेन्द्र भगवान ने जीव को उर्ध्व गौरव उर्ध्व गुरूत्व धर्म वाला बताया है और पुदगल को अधोगोरव अधोगुरूत्व धमे वाला प्रतिपादित किया हैं। 23

Loading...

Page Navigation
1 ... 21 22 23 24