Book Title: Kand Mul Bhakshya Bhakshya Mimansa
Author(s): 
Publisher: ZZZ Unknown

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Page 5
________________ आल आदि-कन्द मूल के खाने के सम्बन्ध में मेरा कोई भी व्यक्तिगत आग्रह नहीं है। मैं नहीं कहता कि खाना ही चाहिए। जो साधक अपनी इच्छा का निराध कर कन्द-मूल या शाक-सब्जी आदि का जो भी त्याग करते हैं, मैं उनका अनुमोदन करता हैं। प्रस्तुत चर्चा पर से मैं केवल एक ही बात स्पष्ट करना चाहता हूँ कि जो भी विधि या निषेध हो, वह प्रामाणिक हो, शास्त्रीय आधार पर हो। अपनी कल्पित मान्यता के आधार पर, शास्त्र-द्वारा प्रमाणित मौलिक सत्य का अपलाप करना और पारस्परिक निन्दा के वितण्डावाद में उलझना ठीक नहीं है। पण्णा समिक्वाए धम्म 166

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