Book Title: Kamal Battisi
Author(s): Gyanand Swami
Publisher: Bramhanand Ashram

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Page 108
________________ श्री कमलबत्तीसी जी भजन - १३ तन पिंजरे से चेतन निकल जायेगा। फिर कौन किस काम क्या आयेगा। १. एक दिन जाना है निश्चित यहां रहना नहीं। छोड़ धन धाम परिवार गहना यहीं ॥ करके पापों को दुर्गति में खुद जायेगा...फिर कौन... २. साथ जाना नहीं काम आना नहीं । देखते जानते फिर भी माना नहीं ॥ मोह माया में कब तक यूँ भरमाएगा...फिर कौन... ३. चेतो जागो निज को पहिचान लो । सीख सद्गुरू की देखो अभी मान लो ॥ कर ज्ञान स्व-पर का तो तर जायेगा...फिर कौन... ४. मिला मानुष जनम इसमें करले धरम । त्याग तप दान संयम और अच्छे करम ॥ जल्दी चेतो ज्ञानानन्द फिर पछतायेगा...फिर कौन... श्री कमलबत्तीसी जी भजन - १५ आतम को ध्यान लगाओ रे, मनुआ मुक्ति मिलेगी। १. काल अनादि चतुर्गति भटके । नौ नौ महिना गर्भ में लटके ॥ कहीं नहीं सुख पाओ रे...मनुआ... २. श्री गुरू चरण शरण में आये । जिनवाणी की शरणा पा गये ॥ मोह में मत भरमाओ रे....मनुआ... ३. मिथ्या माया को अब मत देखो। अपनो कोई कछु मत लेखो ॥ भेद विज्ञान कराओ रे...मनुआ... ४. इस शरीर से भिन्न आत्मा । एक अखंड अभेद शुद्धात्मा ॥ सम्यक् ज्ञान जगाओ रे...मनुआ... ५. रत्नत्रय मई आतम राम है, परमशांति परमानंद धाम है । ज्ञानानंद रम जाओ रे...मनुआ... मुक्ति श्री में अतीन्द्रिय आनंद नंद आनंद सहज ब्रह्मानंद । जय-जयकार मचाओ रे...मनुआ... भजन - १४ सिद्ध स्वरूपी शुद्धात्मा, आज मेरो नैनों में झूले। नैनों में झूले मेरे अंगना में झूले॥ १. शुद्ध प्रकाशं शुद्धात्म तत्वं । समस्त संकल्प विकल्प मुक्तं ॥ रत्नत्रयमयी परमात्मा, आज मेरे.... २. एक अखण्ड अभेद अविनाशी। चैतन्य ज्योति ज्ञायक स्वभावी॥ ध्रुव तत्व भगवान आत्मा, आज मेरे.... ज्ञानानन्द स्वभावी है अलख निरंजन। अरिहंत सर्वज्ञ भव भय भंजन ॥ ब्रह्मानन्द परमात्मा, आज मेरे.... भजन - १६ मुक्ति से रास रचाओ रे, मनुआ मौका मिलो है। मौका मिलो है जो दांव लगो है...मुक्ति से रास... १. जीवन भर कुढ़ कुढ़ कर मरे हो। शल्य विकल्प हर बात में डरे हो ॥ धरम को शरणा पाओ रे...मनुआ... भेदज्ञान तत्व निर्णय हो गओ। सारो भ्रम अज्ञान भी खो गओ ॥ सम्यक्ज्ञान जगाओ रे...मनुआ... १०८

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