Book Title: Kalpsutram Part 02
Author(s): Ghasilal Maharaj
Publisher: A B Shwetambar Sthanakwasi Jain Shastroddhar Samiti

View full book text
Previous | Next

Page 4
________________ ऐसे विरक्त महान् घोर तपस्वी संवत २०२८ का प्र. वैशाख सुदी ४ मंगलवार के दिन १२ वजे समाधिपूर्वक - आत्मभवसे स्वर्गवास को प्राप्त हुए। इन महापुरुपने सिंह के समान संयम अंगीकार किया था। और सिंह जैसे ही संयम आराधना में अंतिम श्वास तक अप्रमत्त अवस्था में रहकर कार्य की सिद्धि प्राप्त की। अपने जीवन की अन्तिम क्षणों का तपस्वीजी को भास हो गया था, फलतः उन्होंने वैशाख वदी तेरस के दिन अन्तिम तेला की तपस्या की बाद में पारणा करके सायंकाल से उन्होने चारो आहार का पच्चक्खाण आचार्यश्री के मुखारविंद से कर लिए और अर्ज की, अभी बडा उपसर्ग है, जब तक यह उपसर्ग मीट न जाय तब तक सर्व आहार का पच्चक्खाण है। ___ उन महान् आत्मा का संग्रह किया हुआ यह कल्पसूत्र है जो उत्तमकोटि का मार्गदर्शक है। तो सुज्ञ जन इस में दर्शित मार्ग के अनुकूल आचरण करके परलोक के लिए अपने कल्याण के पाथेय का संग्रह करे यही अभ्यर्थना-इति सुज्ञेषु किं बहुना ॥ .

Loading...

Page Navigation
1 2 3 4 5 6 7 8 9 10 11 12 13 14 15 16 17 18 19 20 21 22 23 24 25 26 27 28 29 30 31 32 33 34 35 36 37 38 39 40 41 42 ... 912