Book Title: Kalidas Paryay Kosh Part 01
Author(s): Tribhuvannath Shukl
Publisher: Pratibha Prakashan

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Page 470
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra 458 www. kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir कालिदास पर्याय कोश उस बाईं भुजा में मारा, जिसकी उँगलियाँ ऐरावत को बार-बार थपथपाने से कड़ी हो गई थीं। स्कन्ध 1. अंस :- [ अंस् + अच्] कंधा, अंसफलक, भाग । तं कर्णभूषणनिपीडितपीवरांसं शय्योत्तरच्छदविमर्दकृशाङ्गरागम् । 5/65 एक करवट सोने के कारण, अज के भरे हुए कंधों पर कुंडल के दबने से, उसका चिह्न पड़ गया और बिछौने की रगड़ से उनके शरीर पर लगा अंगराग भी पूँछ गया था। निवेश्य वामं भुजमासनार्थे तत्संनिवेशादिध कोन्नातांसः । 6/16 कोई राजा सिंहासन के एक ओर बाईं भुजा टेककर बैठ गया, जिससे उसका बायाँ कंधा उठ गया । 2. स्कन्ध :- - [ स्कन्ध्यते आरुह्यतेऽसौ सुखेन शाखया वा कर्मणि घञ्, पृषो०] कंधा । व्यूढोरस्को वृषस्कन्धः शालप्रांशुर्महाभुजः । 1 / 13 उनकी चौड़ी छाती, साँड के से ऊँचे और भारी कंधे, शाल के वृक्ष जैसी लंबी भुजाएँ और अपार तेज देखकर । दुधुवुर्वाजिनः स्कन्धाँल्लग्नकुङ्कुमकेसरान्। 4/67 लोटने से घोड़ों के शरीर मे जो केशर लग गई थी उसे, उठ उठकर उन्होंने अपने कंधे हिलाकर झाड़ दिया । तुरङ्गमस्कन्ध निषण्णदेहं प्रत्याश्वसन्तं रिपुमाचकाङ्क्ष | 7/47 एक घुड़सवार ने अपने शत्रु घुड़सवार पर पहले चोट की, चोट खाते ही वह घोड़े के कंधे पर झुक गया और उसमें इतनी भी शक्ति न रही कि सिर तक उठा सके। स्तम्भ 1. अवष्टम्भ :- [ अव् + स्तम्भ् + घञ् ] थूनी, स्तंभ, सहारा । रघोरवष्टम्भमयेन पत्रिणा ह्यदि क्षतो गोत्र भिदप्यमर्षणः । 3 / 53 रघु ने खंभे के समान दृढ़ एक बाण इन्द्र की छाती में मारा, इससे इंद्र बड़े क्रोधित हुए। 2. स्तम्भ :- [ स्तम्भ् + अच्] स्थूण, खंभा, पोल, तना । For Private And Personal Use Only

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