Book Title: Kailas Shrutasagar Granthsuchi Vol 18
Author(s): Mahavir Jain Aradhana Kendra Koba
Publisher: Mahavir Jain Aradhana Kendra Koba
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संस्कृत, प्राकृत व अपभ्रंश भाषाओं की मूल कृति के अकारादि क्रम से प्रत-पेटाकृति क्रमांक सूची परिशिष्ट-१ पाक्षिक स्तुति, आ. बालचंद्रसूरि, सं., श्लो. ४, पद्य, मूपू., (स्नातस्या प्रतिमस्य),७२९१२-३(+$), ७३२१८,७४१४४-२,७३९९०
२(#$),७६०३५-२(#) (२) पाक्षिक स्तुति-टीका, सं., गद्य, मूपू., (स श्रीवर्द्धमानो), ७३२१८ (२) पाक्षिक स्तुति-टबार्थ, मा.गु., गद्य, मूपू., (स्नान कराव्यु छे), ७४१४४-२ पारदसिद्धिकरण विधि, सं., श्लो. १, पद्य, (उदंबरार्क वटुदुग्ध), ७३५१५-३(+) पार्श्वजिन अष्टक-महामंत्रगर्भित, सं., श्लो. ८, पद्य, म्पू., (श्रीमद्देवेंद्रवृंदा), ७६१६२() पार्श्वजिन कलश, प्रा.,सं., गा. ९, पद्य, मूपू., (अहो भव्या), ७४४६७-२ पार्श्वजिन-कलिकुंड पद्मावतीदेवी छंद, मु. हेम, मा.गु.,सं., गा. १२, पद्य, मूपू., (श्रीकलिकुंडं तुड), ७३१४१(#) पार्श्वजिन चैत्यवंदन, उपा. क्षमाकल्याण, सं., श्लो. ३, पद्य, मूपू., (श्रयामि तं जिनं सदा),७५५२०-२(+#) पार्श्वजिन चैत्यवंदन, सं., श्लो. ५, पद्य, मूपू., (ॐ नमः पार्श्वनाथाय), ७३६१९-५(+), ७४९३३-१(+), ७३९८९-२(2) पार्श्वजिन चैत्यवंदन-यमकबद्ध, मु. शिवसुंदर, सं., श्लो.७, पद्य, मूपू., (वरसं वरसं वरसं वरस), ७५७५२-१(+), ७५७५९(+S),
७६३९०-१ पार्श्वजिन नमस्कार-जीरावला, सं., श्लो. १, पद्य, मूपू., (आधिव्याधिहरो देवो), ७३९५३-५(+), ७३७४७-६(#) पार्श्वजिनप्रभाव स्तवन, वा. सकलचंद्र, प्रा.,मा.गु., गा. २१, पद्य, मूपू., (वामोदर सरोवर जिनहस), ७६१७६ पार्श्वजिन मंत्राधिराज स्तोत्र, सं., श्लो. ३३, पद्य, मूपू., (श्रीपार्श्वः पातु वो), ७५५९३(+$) पार्श्वजिन मालामंत्र स्तोत्र, सं., गद्य, मूपू., (ॐ नमो भगवते पार्श्व), ७३७१२-१(+) पार्श्वजिन स्तव-अट्टेमट्टेमंत्राम्नाय गर्भित, सं., श्लो. ९, पद्य, मूपू., (ॐ नमो भगवते श्री), ७६५९६-२ (२) पार्श्वजिन स्तव-अट्टेमट्टेमंत्राम्नाय गर्भित-मंत्रसाधन विधि, संबद्ध, सं., गद्य, मूपू., (कुंकुमगोरोचनकर्पूर), ७४९२१(5) पार्श्वजिन स्तव-कलिकुंड, आ. मुनिचंद्रसूरि, सं., श्लो. १०, पद्य, मूपू., (नमामि श्रीपार्श्व), ७७०१४-१(+), ७३५२५-२($) पार्श्वजिन स्तव-कलिकुंड, आ. वादिदेवसूरि, सं., श्लो. १०, पद्य, मूपू., (आर्तनामोदरं कृत्वा), ७३०९६-२ पार्श्वजिन स्तव-चिंतामणि, उपा. देवकुशल पाठक, सं., श्लो. ७, पद्य, मूपू., (स्फुरदेवनागेंद्र), ७६३९३-३ पार्श्वजिन स्तव-चिंतामणि, सं., श्लो. ११, पद्य, मूपू., (किं कर्पूरमयं सुधारस), ७४१८८-३ पार्श्वजिन स्तवन, मु. रूपचंद्रोदय, सं., गा.८, पद्य, मूपू., (जय जिन तारक हे),७४३५५-३(+) पार्श्वजिन स्तवन-जीरावला, मु. सोमजय, अप., गा. ४४, वि. १६वी, पद्य, मूपू., (जीराउलि राउलि कयनिवा), ७३११६(+$),
७६४१२(+$) पार्श्वजिन स्तवन-मंत्राम्नायगर्भित, ग. सुजयसौभाग्य वाचक, मा.गु.,सं., गा. ७, पद्य, मूपू., (ॐ नमः पार्श्वप्रभु), ७३३४९-२ पार्श्वजिन स्तव-फलवर्द्धि, मु. सुरचंद्र ऋषि, सं., श्लो. ७, पद्य, मूपू., (श्रेयोमयं ही बलमालमा), ७५७५२-२(+) पार्श्वजिन स्तव-स्तंभनतीर्थ, सं., श्लो. २, पद्य, मपू., (श्रीसेढीतटिनीतटे),७३९५३-४(+),७४२६९-२(+$) पार्श्वजिन स्तव-स्तंभन मंत्रगर्भित, ग. पूर्णकलश, प्रा.,सं., गा. ३७, वि. १४वी, पद्य, मूपू., (जसु सासणदेवि वएसकया), ७७२०३(+$) (२) पार्श्वजिन स्तव-स्तंभनक मंत्रगर्भित-स्वोपज्ञ वृत्ति, ग. पूर्णकलश, सं., गद्य, मूपू., (जं संथवणं विहिय तस्स), प्रतहीन. (३) पार्श्वजिन स्तव-स्तंभन मंत्रगर्भित-स्वोपज्ञ वृत्ति का भावार्थ, मा.गु., गद्य, मपू., (--), ७७४१६-१(६) (२) पार्श्वजिन स्तव-स्तंभन मंत्रगर्भित-बालावबोध, मा.गु., गद्य, मूपू., (--), ७७२०३(+$) पार्श्वजिन स्तुति, मु. रामचंद्र, सं., श्लो. १५, पद्य, श्वे., (स्वस्ति श्रियेवोस्तु), ७५५९०-१(+#) पार्श्वजिन स्तुति, मु. शोभनमुनि, सं., श्लो. ४, पद्य, मूपू., (मालामालानबाहुर्दधददध), ७५२३३-२(+), ७३१३४(#) पार्श्वजिन स्तुति, मु. सुधर्मशिष्य, सं., श्लो. ३, पद्य, मूपू., (नृपाश्वसेननंदन),७३०८६-४(+#) पार्श्वजिन स्तुति, स., श्लो. ४, पद्य, मूपू., (या या धाधानिधा), ७४३३३-१ पार्श्वजिन स्तुति-कलिकुंडमंडन, आ. सिद्धसेनदिवाकरसूरि, सं., श्लो. १३, पद्य, मूपू., (ॐ नमो पार्श्वनाथाय),७३३४९-१ पार्श्वजिन स्तुति-नाटिकाबंध, आ. जिनकुशलसूरि, सं., श्लो. ४, पद्य, मूपू., (नै दें कि धप), ७४४७२-२(+), ७३६०२(६) पार्श्वजिन स्तुति-पलांकित, सं., श्लो. ४, पद्य, मूपू., (श्रीसर्वज्ञ ज्योति), ७४१३२-४(+$), ७६८२८-१(६)
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